
रायपुर। मजदूर दिवस यानी 1 मई को छत्तीसगढ़ की सियासत में दो अलग-अलग तस्वीरें उभरकर सामने आईं—एक तरफ जहां कांग्रेस ने परंपरा और पहचान को जीवित रखने के लिए बोरेबासी दिवस मनाया, वहीं भाजपा ने श्रमिकों के सम्मान में अनोखी पहल की।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस बार भी बोरेबासी खाकर मजदूरों के संघर्ष को नमन किया। भिलाई के सेक्टर-6 में महापौर नीरज पाल के निवास पर पहुंचे बघेल, कांग्रेस के अन्य नेताओं के साथ डोमशेड के नीचे ज़मीन पर बैठे और छत्तीसगढ़ी पारंपरिक भोजन बोरेबासी का स्वाद लिया। यह आयोजन न केवल सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक बना, बल्कि सादगी और सामूहिकता का संदेश भी देता दिखा। वहीं दूसरी ओर दुर्ग जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष सरस्वती बंजारे ने मजदूर दिवस को एक अलग ही रूप दिया।
ढौर गांव के मनरेगा कार्यस्थल पर पहुंचीं सरस्वती बंजारे ने मजदूरों के पैर धोकर, छत्तीसगढ़ी गमछा और माला पहनाकर उनका सम्मान किया। मिट्टी में बैठकर उन्होंने श्रमिकों का हालचाल जाना और फिर उन्हें नाश्ता भी करवाया। यह दृश्य न केवल विनम्रता का प्रतीक था, बल्कि मजदूरों के प्रति संवेदनशीलता का उदाहरण भी।
इस तरह छत्तीसगढ़ में इस बार का मजदूर दिवस केवल एक रस्मी आयोजन नहीं रहा—बल्कि यह नेताओं की जमीन से जुड़ने की कोशिश और लोक संस्कृति को सहेजने की पहल के रूप में याद रखा जाएगा।