सुरपनगुड़ा में शिक्षा का नया सवेरा: जहाँ कभी सन्नाटा था, अब बच्चों की हँसी गूंजती है

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुदूर और माओवादी प्रभाव वाले क्षेत्र सुरपनगुड़ा की फिज़ा अब बदल रही है। कोंटा विकासखंड से लगभग 125 किलोमीटर दूर, घने जंगलों और पहाड़ियों के बीच बसे इस गांव में अब उम्मीदों की किरणें जगमगाने लगी हैं — और इसका श्रेय जाता है युक्तिकरण योजना को।
पहले जहाँ शिक्षकों की कमी से बच्चों का भविष्य अधर में लटका था, वहीं अब प्राथमिक शाला सुरपनगुड़ा में नियमित शिक्षक की नियुक्ति ने शिक्षा का नया अध्याय शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की मंशा के अनुरूप की गई इस पहल से अब बच्चों को न केवल नियमित शिक्षा मिल रही है, बल्कि उनके सपनों को भी पंख लग रहे हैं।
👉 पढ़ाई में निरंतरता
👉 शिक्षक नियमित
👉 बच्चों में आत्मविश्वास
👉 अभिभावकों का बढ़ता भरोसा
मध्यान्ह भोजन योजना के तहत बच्चों को पोषण भी मिल रहा है, जिससे शिक्षा और स्वास्थ्य दोनों में सुधार हुआ है। अब बच्चे स्कूल आकर सिर्फ किताबें नहीं पढ़ते, बल्कि सपने देखना और उन्हें सच करना भी सीख रहे हैं।
शिक्षा अब है प्रेरणा की लौ
सुरपनगुड़ा में शिक्षक सिर्फ पढ़ा नहीं रहे — वे बच्चों के जीवन में आशा, अनुशासन और आत्मनिर्भरता की भावना भी जगा रहे हैं। यहाँ शिक्षा अब सिर्फ सुविधा नहीं, एक संभावना बन गई है।