बासौदा विधानसभा: भाजपा के हरिसिंह रघुवंशी और कांग्रेस के निशंक जैन में कौन-किसपर भारी ?
![बासौदा विधानसभा: भाजपा के हरिसिंह रघुवंशी और कांग्रेस के निशंक जैन में कौन-किसपर भारी ? 1 Basoda Assembly Who is stronger between Harisingh Raghuvanshi of BJP and Nishank Jain of Congress](https://4rtheyenews.com/wp-content/uploads/2023/10/Basoda-Assembly-Who-is-stronger-between-Harisingh-Raghuvanshi-of-BJP-and-Nishank-Jain-of-Congress.png)
गंजबासौदा (धीरेंद्र सिंह सिकरवार की रिपोर्ट ) – मध्य प्रदेश की 145 बासौदा विधानसभा से दोनों ही मुख्य पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, कांग्रेस ने जहां पिछली बार चुनाव हार चुके निशंक जैन को प्रत्याशी बनाया है, तो वहीं भाजपा ने साल 2013 में निशंक जैन से चुनाव हार चुके हरिसिंह रघुवंशी पर फिर से दांव खेला है ।
बात अगर पिछले विधानसभा चुनाव की करें तो कांग्रेस के प्रत्याशी निशंक जैन भाजपा की लीना संजय जैन से 10226 मतों से चुनाव हार चुके हैं, वहीं भाजपा ने वर्तमान विधायक श्रीमती लीना संजय जैन का टिकट काटते हुए दो बार यानी साल 2002 और 2008 मे विधायक रह चुके हरि सिंह रघुवंशी को अपना प्रत्याशी बनाया है जो अपना पिछला चुनाव 2013 निशंक जैन से 17717 से मतों से हार चुके हैं ।
दोनों प्रत्याशी हार चुके हैं पिछला चुनाव
बासोदा विधानसभा से वर्तमान में दोनों ही मुख्य पार्टियों विधायक उम्मीदवार हैं अपना-अपना पिछला चुनाव हार चुके हैं । साल 2013 में हरि सिंह रघुवंशी उस दौर में चुनाव हारे थे जब भारतीय जनता पार्टी की लहर पूरे प्रदेश में थी, इसके पीछे जातिवादी समीकरण और 10 साल के उनके विधायक कार्यकाल में उपजे हुए उनके नजदीकियों और समर्थकों द्वारा किए गये उत्पात और आतंक को मुख्य वजह बताया गया था । अपनी जीत के लिए हरि सिंह रघुवंशी को इन समस्याओं का समाधान कर आम जनता के बीच साफ सुथरे सुशासन का विश्वास दिलाना एक कठिन चुनौती होगी, बावजूद इसके व्यक्तिगत तौर पर हरि सिंह रघुवंशी की छवि साफ सुथरी ही बताई जाती है । लेकिन इस बार भाजपा की किसी भी प्रकार की लहर ना होने के कारण भी हरि सिंह रघुवंशी का यह चुनाव कठिन होने वाला है ।
कहां मजबूत और कहां कमजोर हैं कांग्रेस प्रत्याशी ?
बात अगर कांग्रेस के प्रत्याशी निशंक जैन की करें, तो उनकी हार की मुख्य वजह 2013 में हरि सिंह रघुवंशी के विरोध के कारण से प्राप्त 17000 से अधिक मतों की जीत का अति आत्मविश्वास के साथ ही गंजबासौदा कांग्रेस की अंदरूनी कलह आपसी फूट और आरएसएस की शाखाऔ पर कमलनाथ जी द्वारा दिए गए बयान बताया जाता है । आपसी फूट और एकजुटता की कमी इस बार भी बड़ी समस्या रहने वाली है, लेकिन पिछले पांच सालों में सतत क्षेत्र में सक्रियता निशंक जैन को फायदा पहुंचा सकती है ।
दोनों में हैं कांटे की टक्कर
अब देखना है कौन सा उम्मीदवार अपनी पिछली गलतियों से सीख लेते हुए इस बार बेहतर प्रबंधन सामनजस्य और जनता के बीच विश्वास बनाकर अपनी जीत को सुनिश्चित कर सकता है यह तो आने वाला समय ही बताएगा परंतु इस बार का चुनाव दिलचस्प और कांटे का होने वाला है