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भारत-पाक मुकाबले से दूर BCCI, ‘अदृश्य बायकाट’ चर्चा में

भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मैच हमेशा से ही जुनून, रोमांच और जबरदस्त दर्शक समर्थन का केंद्र रहा है, लेकिन इस बार एशिया कप में रविवार को होने जा रहे इस हाई-वोल्टेज मुकाबले का माहौल कुछ बदला-बदला सा है। इस बार न सिर्फ आम दर्शकों के उत्साह में कमी आई है, बल्कि खुद बीसीसीआई और उसके राज्य संघों के शीर्ष पदाधिकारी भी इस मैच से दूरी बनाए हुए हैं।

‘बायकाट मुहिम’ का असर

हालिया पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्से की लहर है। इसी के चलते भारत में चल रही ‘बायकाट मुहिम’ ने इस मैच को भावनात्मक और राजनीतिक मुद्दा बना दिया है। बीसीसीआई के कई बड़े नाम—जैसे अरुण धूमल, प्रभतेज भाटिया, रोहन देसाई और देवजीत सैकिया—ने दुबई न जाने का निर्णय लिया है।

बीसीसीआई का ‘अदृश्य बायकाट’

हालांकि सरकार की ओर से टूर्नामेंट में खेलने की अनुमति दी गई है, पर बीसीसीआई पदाधिकारी खुले तौर पर इस मैच से दूरी बना रहे हैं। इसे ‘अदृश्य बायकाट’ का नाम दिया जा रहा है—यानी मैच तो होगा, लेकिन बीसीसीआई की शिरकत बिना।

बीसीसीआई के बड़े चेहरे जय शाह भी इस दौरान अमेरिका में किसी बैठक में व्यस्त हैं, और सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के बावजूद कोर्ट ने इस मैच को रोकने से मना कर दिया है।

कैमरे से दूर रहने की रणनीति

सूत्रों का कहना है कि अगर कोई अधिकारी मैच के दौरान मौजूद भी रहा, तो वह कैमरे के सामने तभी आएगा जब भारत की जीत लगभग तय हो जाएगी। अधिकारियों का मानना है कि कैमरे पर आना राजनीतिक रूप से नुकसानदेह हो सकता है।

भारत-पाक मैच अब केवल एक क्रिकेट मुकाबला नहीं रहा—यह एक बड़ा राजनीतिक और भावनात्मक मुद्दा बन चुका है। ऐसे में एशिया कप 2025 का यह मैच इतिहास में उस एक मुकाबले के तौर पर दर्ज हो सकता है जिसमें मैदान पर भले ही खिलाड़ी भिड़ें, लेकिन दर्शक और प्रशासक दोनों ही भावनाओं और विवेक के बीच उलझे नजर आए।

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