पंडो और पहाड़ी कोरवा बाहुल्य विकासखंडों में विशेष शिविर,21 गांवों में जांच के बाद दी गई दवाइयां,8 लोग रिफर

रायपुर। छत्तीसगढ़ शासन की विशेष पहल पर जिला प्रशासन की ओर से बलरामपुर जिले के पंडो व पहाड़ी कोरवा बाहुल्य विकासखंडों में विशेष स्वास्थ्य शिविर लगाया जा रहा है। साथ ही समाधान शिविर भी लगाया जा रहा है। बलरामपुर जिले में विशेष पिछड़ी जनजातियों के बसाहटों में 21 स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से 516 लोगों की जांच कर निशुल्क दवाइयां दी गई। 8 लोगों को उनके समुचित इलाज के लिए रेफर भी किया गया।
जनजातीय बाहुल्य बलरामपुर जिले में पहाड़ी कोरवा व पंडो के रूप में दो विशेष पिछड़ी जनजाति निवासरत हैं। इसमें जिले के विकासखंडों वाड्रफनगर व रामचन्द्रपुर के कुल 103 गांव में 2 हजार 267 पंडो परिवारों के कुल 11 हजार 924 सदस्य हैं। पिछले कुछ दिनों में विकासखंड रामचन्द्रपुर के पंडो बाहुल्य गांवों में जिला प्रशासन व स्वास्थ्य अमला स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से घर-घर जाकर महिला, बच्चों व बुजुर्गों की स्वास्थ्य जांच एवं मूलभुत सुविधाओं की उपलब्धता को अधिक सुलभ कराने में जुटा हुआ है। साथ ही साथ ही उक्त गांवों में डोर-टू-डोर सर्वे का कार्य करने के साथ-साथ गांवों में कलस्टर बनाकर डेडिकेटेड वाहनों की व्यवस्था और डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जा रही है। वर्तमान में विकासखंड रामचन्द्रपुर के दोलंगी व बरवाही में विशेष चिकित्सों की ड्यूटी लगाई गई है। पंडो बाहुल्य रामचन्द्रपुर विकासखंड में 89 हजार 44 लोगों का आयुष्मान कार्ड बन चुका है। शिविरों के माध्यम से प्राथमिकता के साथ इन परिवारों का आयुष्मान कार्ड बनाया जा रहा है। जिले में कुल विशेष पिछड़ी जनजाति 31 सदस्य टीबी से ग्रसित है। इनका उपचार करने के साथ-साथ ही पौष्टिक आहार व 5-5 हजार रुपए प्रदान किया जाएगा।
जिले में निवासरत विशेष पिछड़ी जनजाति परिवारों के समग्र विकास व स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए आगामी दिनों में आयोजित होने वाले शिविरों की तैयारियां पूर्ण कर ली गई है। प्रशासन की ओर से वृहद स्तर कार्य योजना तैयार कर विशेष पिछड़ी जनजाति परिवारों के शिकायत व समस्या निवारण हेतु अनुभाग स्तरीय समिति भी गठित की गयी है। समिति में अनुभाग स्तरीय अधिकारियों के साथ-साथ प्रत्येक विकासखण्ड में निवासरत पहाड़ी कोरवा व पण्डों समाज के सदस्यों को शामिल किया गया है। शासन-प्रशासन की ओर से जिले में जनजागरुकता के माध्यम से विशेष पिछड़ी जनजाति के परिवारों को मुख्य धारा से जोड़ने हरसंभव पहल की जा रही है।