
रायपुर। छत्तीसगढ़ के सुकमा ज़िले में तेंदूपत्ता बोनस घोटाले की जांच अब तेज़ रफ़्तार पकड़ चुकी है। भ्रष्टाचार के इस मामले में एसीबी और ईओडब्ल्यू की टीमें दूसरे दिन भी एक्शन मोड में हैं। कोन्टा और सुकमा के बाद अब दोरनापाल में छापेमारी की गई है। ताज़ा कार्रवाई में वन विभाग के कर्मचारी के घर रेड डाली गई है, जहां सुबह से ही जांच एजेंसियां डेरा डाले हुए हैं।
कौन-कौन आए रडार पर?
इस बार एसीबी और ईओडब्ल्यू की टीमों ने जिनके दरवाज़ों पर दस्तक दी, उनमें नाम शामिल हैं।
पूर्व विधायक और सीपीआई नेता मनीष कुंजाम
कोन्टा के प्रबंधक शरीफ़ खान
पालाचलमा के वेंकट रवाना
फूलबगड़ी के राजेशेखर पुराणिक
जगरगुंडा के रवि गुप्ता
मिशिगुड़ा के राजेश आयतु
एर्राबोर के महेंद्र सिंह
गुरुवार को हुई इस रेड के बाद से ही ज़िले में हड़कंप मच गया है। नक्सल प्रभावित इलाकों में इस तरह की बड़ी जांच पहली बार देखने को मिली है।
क्या है पूरा मामला
तेंदूपत्ता बोनस में गड़बड़ी का ये मामला करीब 6 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़ा है, जो आदिवासी संग्राहकों को दिए जाने थे। लेकिन आरोप है कि इस रकम में बड़े पैमाने पर गबन हुआ। चौंकाने वाली बात यह है कि इस घोटाले को उजागर करने की शिकायत खुद मनीष कुंजाम ने की थी। इसी कड़ी में सुकमा के डीएफओ अशोक पटेल को निलंबित भी किया गया था। 8 मार्च को उनके घर पर भी छापेमारी हो चुकी है।
राजनीति भी गरमाई
जांच के बीच राजनीति भी तेज़ हो गई है। कांग्रेस और सीपीआई नेताओं ने एसीबी और ईओडब्ल्यू की कार्रवाई को राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया है। उनका कहना है कि जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में बीजेपी को समर्थन न देने की सजा दी जा रही है।