जगदलपुर: प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत मुख्य मार्गों से दूरस्थ गांवों को जोडऩे वाली दर्जनों सडक़ों का हाल अधूरा है और अधिकांश सडक़े आधे अधूरे निर्माण के साथ अपने पूर्ण होने की बांट जोह रही हैं। चाहे बस्तर के किसी विकासखंड का हाल हो सभी विकासख्ंाडों में संपर्क सडक़ों का निर्माण अधूरा है और जितनी दूर तक उन सडक़ों का काम हुआ है वह भी अभी खस्ताहाल हो गया है। एक छोटा से उदाहरण लोहंडीगुड़ा विकासखंड का लिया गया जिसमें साल 2004 से अभी तक कुल 37 सडक़ों के निर्माण की शासकीय स्वीकृति प्राप्त हुयी और अभी तक इनमें से 14 सडक़ों का निर्माण शुरू ही नहीं हो पाया है। इनके लिए 5 सौ करोड़ से भी अधिक की राशि से ब्लाक में 195 किलोमीटर सडक़ें ही इन गांवों में बनना थी लेकिन अभी तक 103 किलोमीटर से भी अधिक दूरी की सडक़ बन नहीं पायी है और इन सडक़ों के निर्माण के लिए जिम्मेदार शासकीय निर्माण विभाग रूचि नहीं ले रहा है।
सडक़ों के निर्माण के लिए यह विभाग केवल नक्सली आतंक का हवाला देकर काम करने से कतरा रहा है जबकि दूसरी ओर पुलिस ने सडक़ों के निर्माण के लिए पूर्ण सुरक्षा देने का भरोसा भी दिलाया है उसके बाद भी निर्माण के प्रति संबंधित विभाग उदासीन बना हुआ है। ऐसी ही स्थिति संभाग सभी विकासखंडों में बनी हुयी है। दंतेवाड़ा जिला की अधिकांश सडक़ें गांव वालों के जोरदार आवाज उठाए जाने के बाद भी नहीं बन पायी हैं और आज भी यहां के ग्रामीण एक अदद सडक़ के लिए जद्दोजहद करते नजर आ रहे हैं। सडक़ों के न होने से बस्तर के प्रत्येक गांवों में शासन की विकासात्मक मूलक कार्य नहीं हो पा रहे हैं और इससे शासन की छवि धूमिल हो रही है।
इस संबंध में विधायक चित्रकोट ने बताया कि स्पष्ट रूप से यह प्रमाणित हो गया है कि प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना से लोगों का कोई भला नहीं हुआ है और इस येाजना के तहत केवल कागजों में ही सडक़ें बन रही हैं तथा इनकी स्वीकृति उपरांत निर्माण का व्यय कुछ लोगों के बीच बंट रहा है। धरातल पर सडक़ का निर्माण ही नहीं हुआ है लेकिन स्वीकृति के उपरांत भी सालों से सडक़ों का निर्माण अधूरा है।
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