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बिहान योजना से बुटकी नाग बनीं आत्मनिर्भर किसान, बस्तर की धरती पर उगा रहीं सफलता की फसल

बस्तर जिले के सुदूर वनांचल के गांव, जहां कभी गरीबी और मजदूरी ही जीवन की हकीकत थी, अब वहां बिहान योजना की एकीकृत फार्मिंग क्लस्टर परियोजना महिलाओं की जिंदगी में नई उम्मीदें जगा रही है। इन्हीं में से एक हैं बुटकी नाग, जो कभी दूसरों के खेतों में मजदूरी करके परिवार का गुजारा करती थीं, लेकिन आज अपनी तीन एकड़ जमीन पर धान, मक्का और सब्जियां उगाकर आत्मनिर्भर किसान बन चुकी हैं।

ग्राम पंचायत तराईगुड़ा नेगानार की बुटकी ने अपने पति जयसिंह नाग के साथ मिलकर खेती के साथ मुर्गी पालन और बकरी पालन भी शुरू किया है। साल 2020 में जब वे राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) की बिहान योजना से जुड़ीं, तब उन्होंने सीता माता महिला स्वयं सहायता समूह बनाया। समूह को रिवॉल्विंग फंड के रूप में 15 हजार रुपये और कम्युनिटी इन्वेस्टमेंट फंड के रूप में 60 हजार रुपये मिले, जिससे उन्होंने अपनी खेती की नई शुरुआत की।

दरभा ब्लॉक मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर स्थित बुटकी की तीन एकड़ जमीन अब हरी-भरी फसलों से लहलहा रही है। डेढ़ एकड़ में धान, एक एकड़ में मक्का और आधे एकड़ में तोरई, करेला व सेम जैसी सब्जियों की पैदावार हो रही है। खाली जमीन का सदुपयोग करते हुए उन्होंने मुर्गी और बकरी पालन भी शुरू किया।

पहले जहां मजदूरी से मुश्किल से परिवार का पेट भर पाता था, अब बुटकी अपनी मेहनत से न केवल घर चला रही हैं बल्कि दूसरों के लिए प्रेरणा भी बन गई हैं। बिहान योजना ने उन्हें आर्थिक सहारा देने के साथ ही विविध आय के साधन सिखाए हैं। बस्तर जैसे कठिन इलाके में यह परियोजना सैकड़ों महिलाओं को गरीबी की जंजीरों से मुक्त कर स्वावलंबन की नई राह दिखा रही है।

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