
छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) की राज्य सिविल सेवा भर्ती परीक्षा 2021 की सीबीआई से जांच कराने के निर्णय के बाद पीएससी की अन्य परीक्षाओं को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि अन्य परीक्षाओं की गड़बड़ियों को भी जांच के दायरे में लाया जा सकता है।
सीजीपीएससी 2021 के अलावा पूर्ववर्ती सरकार में हुई सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में भी गड़बड़ी की शिकायत सामने आ चुकी है।
जानकारों के मुताबिक, पीएससी घोटाले में कार्रवाई की लगातार मांग होती रही है मगर सरकार इस मामले के सभी आरोप या शिकायतों पर सबूत मांगकर पर्दा डालती रही। अंतत: युवाओं के आक्रोश ने सत्ता ही पलट दिया। पीएससी 2021 ही नहीं, बल्कि पीएससी 2022 में कलेक्टर के बेटे का चयन होने के बाद भी इंटरनेट मीडिया में प्रश्न खड़े किए गए थे।
वहीं ऐसे भी आरोप लगाए गए हैं कि पीएससी की परीक्षा में न केवल अफसर, बल्कि नेताओं के पुत्र-पुत्रियों को भी उपकृत किया गया है। पीएससी के अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी खुद कटघरे में रहे हैं। सीबीआई से पहले इस मामले में ईओडब्ल्यू से भी जांच कराने की मांग होती रही है। जिन लोगों पर शक है, उनके खिलाफ सभी पहलुओं पर जांच हो सकती है। खासकर आर्थिक रूप से लाभ हासिल करने वालों की भी जांच की जा सकती है।