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छत्तीसगढ़ तैयार साहित्यिक महाकुंभ के लिए, नवा रायपुर में जुटेंगे 100 से अधिक साहित्यकार

रायपुर। नए वर्ष की शुरुआत के साथ छत्तीसगढ़ एक बार फिर साहित्यिक उमंग से भरने वाला है। नवा रायपुर में 23 से 25 जनवरी तक होने वाला रायपुर साहित्य उत्सव देश भर के 100 से अधिक नामी साहित्यकारों को एक मंच पर जुटाएगा। राज्य स्थापना के रजत वर्ष पर इस भव्य आयोजन की परिकल्पना की गई थी, जो अब मूर्त रूप ले चुकी है।

आज रायपुर साहित्य उत्सव का लोगो जारी किया गया। इस अवसर पर मीडिया सलाहकार पंकज झा, साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शंशाक शर्मा, जनसंपर्क सचिव डॉ. रोहित यादव सहित प्रदेश के कई वरिष्ठ साहित्यकार मौजूद रहे।

कार्यक्रम में कहा गया कि राज्य के 25 वर्ष पूरे होने पर आयोजित यह महोत्सव साहित्य, विचार और रचनात्मकता का संगम बनेगा। आयोजन का उद्देश्य छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय साहित्यिक मानचित्र पर नई पहचान देना और समाज को पठन-पाठन व लेखन की ओर प्रेरित करना है।

तीन दिवसीय उत्सव में कुल 11 सत्र रखे गए हैं— 5 समानांतर सत्र, 4 सामूहिक सत्र और 3 संवाद सत्र, जिनमें प्रतिभागी सीधे साहित्यकारों से संवाद कर सकेंगे।

लोगो की खासियत

रायपुर साहित्य उत्सव का लोगो छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक जड़ों और साहित्यिक विरासत का सशक्त प्रतीक है।
सल्फी के पेड़ को राज्य के नक्शे का रूप देकर यह दर्शाया गया है कि छत्तीसगढ़ की सभ्यता और साहित्य इसी मिट्टी की जड़ों से पोषित होते आए हैं।

लोगो पर अंकित वाक्य ‘आदि से अनादि तक’ साहित्य की कालातीत यात्रा का बिंब है, तो ‘सुरसरि सम सबके हित होई’ साहित्य की समावेशी और लोकहितकारी प्रकृति को उजागर करता है।

यह लोगो छत्तीसगढ़ की जनजातीय परंपराओं, सामाजिक समरसता और आधुनिक रचनाशीलता—सभी का सुंदर मेल है, जो आने वाले साहित्य उत्सव को एक विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान प्रदान करता है।

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