रायपुर
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अपनी नैय्या पार लगाने के लिए भाजपा को दोतरफा उलझाने में लगी है। एक तरफ तो कांग्रेस मोदी सरकार की योजनाओं को कंडम बताने में लगी है, वहीं दूसरी तरफ प्रदेश की पूर्ववर्ती रमन सरकार के पुराने पन्ने खोलकर उस पर लांछन लगाने का भी काम कर रही है। कांग्रेस की रणनीति यह है कि वह भाजपा को केवल सफाई और जवाब देने में फंसाए रखे, ताकि लोकसभा चुनाव में सीटें बढ़ाने में कांग्रेस की राह आसान हो जाए।
विधानसभा चुनाव में 90 में से 68 सीटें जीती कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता उत्साह से लबालब हैं। लोकसभा चुनाव में भी ऐसे ही नतीजे के लिए कांग्रेसी कमर कस रहे हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में अंतर होता है। इस कारण कांग्रेस कहीं भी लापरवाही नहीं करना चाहती है।
कांग्रेस ने सरकार बनाते ही रणनीति के तहत भाजपा को घेरना शुरू किया। भाजपा को घेरने के लिए पुराने मामलों की पर्तें खोलनी शुरू की। पहले नान घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी। उसके बाद जनसंपर्क के ई-टेंडरिंग घोटाला और अंतागढ़ टेपकांड की भी जांच शुरू करा दी।
नान घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह और उनके परिवार के सदस्यों पर भी आंच आ सकती है। पुलिस ने अंतागढ़ टेपकांड में उनके दामाद डॉ. पुनीत गुप्ता के खिलाफ एफआइआर भी कर लिया है।
नान मामले की डायरी में सीएम मैडम लिखा हुआ था, उसकी भी जांच चल रही है। इन मामलों के पन्न्े दोबारा खुलने से भाजपा के आला नेता उलझ गए हैं। बदले की राजनीति और बदलापुर का बयान देते घूम रहे हैं। लोकसभा चुनाव है, इसलिए कांग्रेस मोदी सरकार को भी डैमेज करने की कोशिश करेगी।
इसके लिए मोदी सरकार की योजनाओं की विफलताएं गिनाई जाएंगी। जल्द ही पार्टी के सभी मोर्चा, संगठन उज्जवला योजना, नोटबंदी, जीएसटी, रोजगार, महंगाई समेत अन्य मुद्दों को लेकर धरना-प्रदर्शन शुरू करने वाले हैं।
आग में घी डालने का किया काम
विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भाजपा के आला नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच दरार पड़ गई है। आला नेता कार्यकर्ताओं को मनाने में लगी हैं, वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत कांग्रेस के कई नेताओं ने बीच-बीच में बयानबाजी करके भाजपा कार्यकर्ताओं की नाराजगी की आग में घी डालने का काम किया है।
पूर्ववर्ती रमन सरकार के करीबियों को भी घेर रही
कांग्रेस सरकार प्रदेश की पूर्ववर्ती रमन सरकार के करीबी अधिकारियों और अन्य लोगों को भी घेरने में लगी है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह के करीबी रहे आइपीएस मुकेश गुप्ता के खिलाफ अब तक दो एफआइआर हो चुकी है। इसके अलावा 17 विभागों में 4601 करोड़ के ई-टेंडरिंग घोटाले की भी जांच शुरू करा दी है, जिसमें कई अधिकारी और ठेकेदारों के फंसने की आशंका है।