चक्रधर समारोह 2025 का आठवां दिन—लोक और शास्त्र का रंगारंग संगम

रायपुर। अंतरराष्ट्रीय पहचान बना चुका चक्रधर समारोह 2025 अपने आठवें दिन सांस्कृतिक रंगों से सराबोर रहा। रामलीला मैदान में सुर, ताल, छंद और घुंघरू की गूंज के बीच कलाकारों की सजीव प्रस्तुतियों ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। आयोजन की भव्य शुरुआत केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने भगवान गणेश की पूजा, राजा चक्रधर के चित्र पर पुष्प अर्पित कर और दीप जलाकर की।
अपने संबोधन में अठावले ने कहा कि राजा चक्रधर सिर्फ रायगढ़ नहीं, पूरे देश के गौरव हैं—एक दूरदर्शी शासक, समाज सुधारक और संगीत मर्मज्ञ। उन्होंने गरीबों, किसानों, मजदूरों और आदिवासी समुदाय के लिए कार्य किया और कथक को नया स्वरूप देकर ‘रायगढ़ घराने’ की नींव रखी। आज यह विरासत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सराही जा रही है।
इस मौके पर राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह, रायगढ़ के महापौर जीवर्धन चौहान समेत कई जनप्रतिनिधि और नागरिक उपस्थित रहे।
आठवें दिन की खास पेशकश रही अबूझमाड़ के मल्लखंभ दल की रोमांचक प्रस्तुति, जिसने दर्शकों को तालियों से झूमने पर मजबूर कर दिया। इसके अलावा रायपुर की आशिका सिंघल, दुर्ग की देविका दीक्षित, बिलासपुर की वासंती वैष्णव व टीम, जबलपुर की निलांगी कालान्तरे और बेंगलुरु के डॉ. लक्ष्मी नारायण जेना ने कथक की विविध शैलियों में अपनी प्रस्तुति देकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
भरतनाट्यम में रायपुर की अजीत कुमारी कुजूर ने अपनी प्रस्तुति से समां बांधा, जबकि मुंबई के अर्नव चटर्जी की गायन प्रस्तुति ने माहौल को मधुरता से भर दिया।
समारोह में पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे की स्मृति में आयोजित विशेष काव्य संध्या भी दर्शकों के लिए यादगार रही। हास्य, वीर रस और व्यंग्य से सजी कविताओं ने देर रात तक माहौल को जीवंत बनाए रखा।