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अंतरिक्ष में दुश्मन का सफाया: जर्मनी को मिला इजरायल का Arrow-3, यूरोप की सुरक्षा में आया टर्निंग प्वाइंट

यूरोप में बढ़ते युद्ध के खतरे और रूस–यूक्रेन विवाद के बीच जर्मनी ने अपनी सुरक्षा को नई ऊँचाई पर पहुंचा दिया है। चीन के साथ ताइवान को लेकर तनाव और यूरोपीय क्षेत्र में अनिश्चितता के बीच, जर्मनी को इजरायल का सबसे उन्नत और घातक मिसाइल डिफेंस सिस्टम Arrow-3 मिल चुका है।

करीब 38 हजार करोड़ रुपये की यह डील इजरायल के रक्षा इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी सौदेबाजी है। बर्लिन में Arrow-3 की तैनाती शुरू हो गई है, और इसके साथ ही जर्मनी उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जो अंतरिक्ष में दुश्मन की मिसाइल को ध्वस्त करने की क्षमता रखते हैं। इजरायल और अमेरिका के बाहर यह सिस्टम पहली बार किसी और देश को दिया गया है।

Arrow-3 को ‘किलर इन स्पेस’ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह मिसाइल को धरती पर आने से पहले ही—वायुमंडल के बाहर, अंतरिक्ष में—नष्ट कर देता है। यानी यदि कोई देश जर्मनी पर परमाणु मिसाइल भी दागे, तो Arrow-3 उसे सैकड़ों किलोमीटर ऊपर खत्म कर देगा, जिससे रेडियोएक्टिव प्रदूषण का खतरा लगभग समाप्त हो जाता है।

इसकी सबसे बड़ी ताकत इसकी हाइपरसोनिक स्पीड और 2,400 किमी की मारक क्षमता है। यह 100 किमी से अधिक की ऊँचाई पर जाकर लक्ष्य को भेदता है—जहां सामान्य रक्षा सिस्टम बेअसर हो जाते हैं। रडार द्वारा खतरा भांपते ही यह पल भर में सक्रिय हो जाता है और दुश्मन को प्रतिक्रिया का मौका नहीं मिलता।

Arrow-3 की ‘हिट-टू-किल’ तकनीक इसे और भी घातक बनाती है। यह विस्फोट नहीं करता, बल्कि सीधे दुश्मन की मिसाइल से टकराकर उसे चकनाचूर कर देता है। इसके सेंसर अंतरिक्ष की अंधेरी परिस्थितियों में भी लक्ष्य खोज लेते हैं, जो इसे दुनिया का सबसे विश्वसनीय मिसाइल इंटरसेप्टर बनाता है।

रूस–यूक्रेन युद्ध के बाद जर्मनी को डर था कि उसके पास लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने की कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं है। पैट्रियट सिस्टम केवल कम दूरी तक सीमित था। Arrow-3 की तैनाती के बाद जर्मनी ने यूरोपियन स्काई शील्ड इनिशिएटिव (ESSI) के तहत अपनी सुरक्षा को लगभग अभेद्य कर लिया है। यह नाटो की मिसाइल डिफेंस क्षमता को भी मजबूत करेगा।

इजरायल ने 2017 में इस सिस्टम को ईरानी मिसाइलों से बचाव के लिए तैनात किया था। हाल ही में जब ईरान ने इजरायल पर सैकड़ों मिसाइलें दागीं, तो इन्हीं सिस्टम्स ने देश को बचाया। उसी प्रदर्शन को देखकर जर्मनी ने सौदा फाइनल करने में देर नहीं लगाई।

विशेषज्ञों का मानना है कि Arrow-3 न सिर्फ जर्मनी बल्कि पूरे यूरोप में शक्ति संतुलन बदल देगा। यह प्रणाली रूस जैसे ताकतवर देशों को भी अपनी रणनीति पर दोबारा सोचने के लिए मजबूर कर सकती है। यह सौदा साबित करता है कि भविष्य की जंग धरती पर नहीं, बल्कि आसमान और अंतरिक्ष में लड़ी जाएगी।

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