छत्तीसगढ़

डॉ. निशंक का रचना संसार साहित्य महाकुंभ समारोह में डॉ. ऊषी बाला गुप्ता सम्मानित

उत्तराखंड में नई दिल्ली और हिमालयी विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में  आयोजित साहित्य महाकुंभ समारोह में हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. ऊषी बाला गुप्ता श्री अग्रसेन कन्या महाविद्यालय कोरबा छ.ग . को  पूर्व शिक्षा मंत्री भारत सरकार डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा सम्मानित किया गया।
ऋषिकेश, परमार्थ निकेतन परिसर में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय महाकुंभ ऑनलाइन पुस्तक वार्ता की 75 श्रृंखलाओं के पूर्ण होने पर एवं दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। डॉ. निशंक युगदृष्टा एवं युगसृष्टा है। उनका लेखन कभी छायावादी कवियों के समकक्ष  खड़ा करता है  तो कहीं यथार्थवादी कहानीकार के रूप में प्रेमचंद के समकक्ष। उनकी रचनाओं का विश्वभर की भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है शोधार्थी उनके साहित्य पर शोध कर रहे हैं एवं पाठ्यक्रम में भी उनकी रचनाओं को शामिल किया गया है।
डॉ. निशंक जी ने जो जीवन में देखा, भोगा उसी को अपनी रचना संसार का विषय बनाया। डॉ. निशंक ने कविता, कहानियां, उपन्यास, बाल साहित्य, यात्रा वृत्तांत और पर्यटन आदि पर 100 से अधिक पुस्तकों की रचना की।  डॉ. निशंक को ऑनलाइन पुस्तक वार्ता की 50 श्रृंखलाएं पूर्ण होने पर गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड से एवं 75 श्रृंखलाएं पूर्ण होने पर हार्वर्ड वल्र्ड रिकॉर्ड लंदन से सम्मानित किया गया। इस समागम में देश के 22 राज्यों एवं 7 अन्य देशों से हिंदी प्रेमी शिक्षाविद, अनेक विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रोफ़ेसर उपस्थित हुए।
डॉक्टर ऊषी बाला गुप्ता ने डॉ. निशंक की स्वामी विवेकानंद के जीवन पर आधारित पुस्तक ‘संसार कायरों के लिए नहीं का, ‘निशंक का रचना संसारÓ के 55 वीं वार्ता श्रृंखला में  वक्ता के रूप में वक्तव्य दिया। 75 वे एपिसोड पूर्ण होने पर साहित्य के इस हीरक जयंती कार्यक्रम में डॉ.ऊषी बाला गुप्ता को  डॉ. निशंक द्वारा स्मृति चिन्ह एवं सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर बीबीसी लंदन के तेजेंद्र शर्मा , हार्वर्ड वल्र्ड रिकॉर्ड के सचिव आशीष जायसवाल,  परमार्थ निकेतन के आध्यात्मिक गुरु स्वामी चिदानंद सरस्वती, योग गुरु बाबा, उत्तराखंड के कृषि मंत्री सुबोध उन्याल एवं डॉ. बेचैन कंडियाल की विशेष उपस्थिति रही। अब तक एक साहित्यकार के साहित्य पर इतनी लंबी चर्चा केवल भारतीय साहित्यकार डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक पर ही हुई है। इस उपलब्धि के लिए श्री अग्रसेन शिक्षण समिति के पदाधिकारियों, प्राचार्य डॉ. वाई. के सिंह  एवं प्राध्यापकों ने ऊषी बाला गुप्ता को बधाइयां दी।उत्तराखंड में नई दिल्ली और हिमालयी विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में  आयोजित साहित्य महाकुंभ समारोह में हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. ऊषी बाला गुप्ता श्री अग्रसेन कन्या महाविद्यालय कोरबा छ.ग . को  पूर्व शिक्षा मंत्री भारत सरकार डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा सम्मानित किया गया।
ऋषिकेश, परमार्थ निकेतन परिसर में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय महाकुंभ ऑनलाइन पुस्तक वार्ता की 75 श्रृंखलाओं के पूर्ण होने पर एवं दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। डॉ. निशंक युगदृष्टा एवं युगसृष्टा है। उनका लेखन कभी छायावादी कवियों के समकक्ष  खड़ा करता है  तो कहीं यथार्थवादी कहानीकार के रूप में प्रेमचंद के समकक्ष। उनकी रचनाओं का विश्वभर की भाषाओं में अनुवाद किया जा रहा है शोधार्थी उनके साहित्य पर शोध कर रहे हैं एवं पाठ्यक्रम में भी उनकी रचनाओं को शामिल किया गया है।
डॉ. निशंक जी ने जो जीवन में देखा, भोगा उसी को अपनी रचना संसार का विषय बनाया। डॉ. निशंक ने कविता, कहानियां, उपन्यास, बाल साहित्य, यात्रा वृत्तांत और पर्यटन आदि पर 100 से अधिक पुस्तकों की रचना की।  डॉ. निशंक को ऑनलाइन पुस्तक वार्ता की 50 श्रृंखलाएं पूर्ण होने पर गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड से एवं 75 श्रृंखलाएं पूर्ण होने पर हार्वर्ड वल्र्ड रिकॉर्ड लंदन से सम्मानित किया गया। इस समागम में देश के 22 राज्यों एवं 7 अन्य देशों से हिंदी प्रेमी शिक्षाविद, अनेक विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रोफ़ेसर उपस्थित हुए।
डॉक्टर ऊषी बाला गुप्ता ने डॉ. निशंक की स्वामी विवेकानंद के जीवन पर आधारित पुस्तक ‘संसार कायरों के लिए नहींÓ का, ‘निशंक का रचना संसारÓ के 55 वीं वार्ता श्रृंखला में  वक्ता के रूप में वक्तव्य दिया। 75 वे एपिसोड पूर्ण होने पर साहित्य के इस हीरक जयंती कार्यक्रम में डॉ.ऊषी बाला गुप्ता को  डॉ. निशंक द्वारा स्मृति चिन्ह एवं सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर बीबीसी लंदन के तेजेंद्र शर्मा , हार्वर्ड वल्र्ड रिकॉर्ड के सचिव आशीष जायसवाल,  परमार्थ निकेतन के आध्यात्मिक गुरु स्वामी चिदानंद सरस्वती, योग गुरु बाबा, उत्तराखंड के कृषि मंत्री सुबोध उन्याल एवं डॉ. बेचैन कंडियाल की विशेष उपस्थिति रही। अब तक एक साहित्यकार के साहित्य पर इतनी लंबी चर्चा केवल भारतीय साहित्यकार डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक पर ही हुई है। इस उपलब्धि के लिए श्री अग्रसेन शिक्षण समिति के पदाधिकारियों, प्राचार्य डॉ. वाई. के सिंह  एवं प्राध्यापकों ने ऊषी बाला गुप्ता को बधाइयां दी।

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