शासन-प्रशासन रोजगार सहायकों का कर रहा है शोषण

विदिशा : जिले की समस्त जनपद पंचायत अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायतों में नियुक्त किये गये रोजगार सहायकों की स्थिति ठीक नहीं है। और यह बात किसी से छिपी नहीं है, इस बात को शासन-प्रशासन जनप्रतिनिधि सभी भली-भांति जानते हैं। बावजूद इसके रोजगार सहायक मानसिक प्रताड़ना और हो रहे शोषण से अछूते नहीं हैं। ग्राम पंचायत के अन्य कार्यों में उलझा कर मनरेगा से दूर कर दिया जाता है।
रोजगार सहायकों के लिये ताकि सरपंच-सचिव मनमानी और धांधली कर सकें, जोकि मनरेगा अधिनियम का सीधा सीधा उल्लंघन कर अतिरिक्त कार्य रोजगार सहायकों के लिऐ दिये जा रहे है। जिले की कई ग्राम पंचायतें इस बात का जीता जागता उदाहरण है। राजनीतिक हस्तक्षेप और अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त होने की वजह से नहीं बदल पा रही ग्राम पंचायतों कि यथा स्थितियां, सरपंच और सचिव राजनैतिक प्रभाव से अछूते नहीं है। प्रमुख सचिव के आदेशों की उड़ाई जा रहे हैं ।
जनपद पंचायतों में धज्जियां, क्योंकि रोजगार सहायकों से मनरेगा के अतिरिक्त कार्यों की है, मनाही और कई बार इस संबंध में रोजगार सहायक ज्ञापन दे चुके हैं । ज्ञापन में इस बात का उल्लेख भी कर चुके हैं कि यदि अतिरिक्त कार्यों से रोजगार सहायकों के लिए मुक्त नहीं रखा गया तो वह आमरण-अनशन दिल्ली में भी कर सकते हैं । रोजगार सहायकों के लिए मनरेगा से मानदेय के रूप में मिलते हैं ₹5000 एवं ₹2000 प्रधानमंत्री आवास के मास्टर निकालने एवं ₹2000 शौचालय के फोटो खींचने के लिए दिये जाते हैं।
इसके अतिरिक्त अन्य कोई राशि रोजगार सहायकों के लिए प्राप्त नहीं होती है। जबकि ऊपर से आदेश दिए गए थे, कि शौचालय का कार्य मनरेगा के कार्यों से हटकर शासन के द्वारा स्वच्छता अभियान के क्रियान्वयन के लिऐ स्वच्छता ग्राहीयों की नियुक्तियां ग्राम पंचायतों में की गई थी, लेकिन उक्त स्वच्छता ग्राहीयों से कार्य ना लेकर शौचालय से संबंधित कार्य रोजगार सहायकों से कराये जाते हैं , जबकि उक्त कार्य स्वच्छता ग्राहीयों से कराए जाना चाहिऐ परंतु अपनी डफली अपना राग चल रहा है।
रिपोर्टर सुरेंद्र पस्तोर