ग्राम पंचायतों को मिले नए अधिकार, ग्रामीणों को तहसील के चक्कर से राहत

रायपुर। महानदी भवन मंत्रालय में आज पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसकी अध्यक्षता उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने की। बैठक की शुरुआत पंचायतों के माध्यम से अविवादित नामांतरण और बंटवारे की प्रक्रिया पर चर्चा से हुई। अब ग्राम पंचायतों को ऐसे राजस्व मामलों के समाधान का अधिकार मिलने से ग्रामीणों को बार-बार तहसील के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। इससे न केवल शासन-प्रशासन की दूरी कम होगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर न्याय मिलना भी आसान होगा।
उपमुख्यमंत्री ने सभी जिलों में इस व्यवस्था को प्रभावी रूप से लागू करने और जनजागरूकता बढ़ाने के निर्देश दिए। बैठक में प्रमुख सचिव निहारिका बारीक सिंह, सचिव भीम सिंह, संयुक्त सचिव धर्मेश कुमार साहू सहित विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।
बैठक में ‘ग्राम संपदा ऐप’ की प्रगति की भी समीक्षा हुई। पंचायत परिसंपत्तियों की पारदर्शिता और समुचित प्रबंधन के लिए इस ऐप को और अधिक अपडेट करने तथा तकनीकी समस्याओं को शीघ्र सुलझाने पर ज़ोर दिया गया। जिलों से प्राप्त सुझावों के आधार पर ऐप में आवश्यक सुधार करने के निर्देश दिए गए।
डिजिटल इंडिया की ओर एक कदम और
‘अटल डिजिटल सुविधा केंद्र’ को लेकर भी अहम चर्चा हुई। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल लेनदेन की सुविधा देना अब वक्त की मांग है। उन्होंने निर्देश दिए कि ग्राम पंचायत स्तर पर ही नकद निकासी की सुविधा उपलब्ध कराई जाए, जिससे ग्रामीणों को दूरस्थ बैंकों तक न जाना पड़े। जो पंचायतें अभी इस सुविधा से वंचित हैं, वहां जल्द ही नए केंद्र खोले जाएंगे।
राष्ट्रीय पंचायत दिवस की तैयारी और नई पहलें
आगामी राष्ट्रीय पंचायत दिवस के अवसर पर ‘छत्तीसगढ़ कर्मवीर पंचायत जनप्रतिनिधि पुरस्कार’ की शुरुआत को लेकर भी दिशा-निर्देश तय किए गए। बैठक में राज्य गठन से पहले और बाद में आकर बसे परिवारों की पृथक पंजी व्यवस्था और पंचायत क्षेत्र में चल रही विभिन्न योजनाओं की समन्वित समीक्षा की गई।
अंत में ‘हमर छत्तीसगढ़’ योजना के तहत बस्तर संभाग के जनप्रतिनिधियों को रायपुर बुलाकर दो से तीन दिन का प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव भी सामने आया। इससे जनप्रतिनिधियों की दक्षता में वृद्धि और योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन की उम्मीद है।