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केंद्रीय संगठन जो भी फैसला करेगा, उसे मैं स्वीकार करूंगा – डॉ. रमन

रायपुर

  • लोकसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच एक सवाल लगातार उठ रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह चुनाव लड़ेंगे या नहीं। यही सवाल सोमवार को एकात्म परिसर में पत्रकारों ने भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ रमन सिंह से किया। डॉ रमन ने बड़े सधे अंदाज में कहा कि मैं चुनाव में टिकट बांटने के लिए अधिकृत नहीं हूं। अब तक मैंने अपनी जिम्मेदारी कभी तय नहीं की।
  • डॉ रमन ने कहा कि अभी तक केंद्रीय संगठन ने लोकसभा चुनाव लड़ने के बारे में न तो मुझसे पूछा है, न ही कोई जानकारी दी है। केंद्रीय संगठन जो भी फैसला करेगा, उसे मैं स्वीकार करूंगा। दरअसल, डॉ रमन के चुनाव लड़ने का सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि केंद्र में मोदी की दोबारा सरकार लाने के लिए एक-एक सांसद की जीत को पार्टी जरूरी मान रही है।
  • विधानसभा चुनाव में राजनांदगांव लोकसभा की सिर्फ एक विधानसभा में भाजपा की जीत हुई है। वह सीट पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह की राजनांदगांव विधानसभा है। यही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री के गृह जिले कवर्धा की दो विधानसभा कवर्धा और पंडरिया में पार्टी उम्मीदवार की हार का अंतर करीब एक लाख वोट है।
  • ऐसे में डॉ रमन को राजनांदगांव से मजबूत उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है। वर्तमान में राजनांदगांव लोकसभा से डॉ रमन के बेटे अभिषेक सिंह सांसद हैं। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो अभिषेक के मुकाबले डॉ रमन मजबूत उम्मीदवार हो सकते हैं।
  • ऐसे में एक बड़ा वर्ग डॉ रमन को उम्मीदवार बनाने की वकालत कर रहा है। नये चेहरों पर पार्टी लगाएगी दांव पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि केंद्रीय संगठन ने लोकसभा उम्मीदवारों के चयन के लिए सर्वे कराया है। इसमें कुछ सीटों पर नए चेहरे उतारे जा सकते हैं।
  • पिछले तीन चुनाव में भाजपा ने पांच लोकसभा छोड़कर बाकी पर नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा और सफलता मिली है। ऐसे में यह संकेत मिल रहे हैं कि इस बार भी नये और युवा चेहरों पर पार्टी भरोसा कर सकती है।
  • 70 दिन में जनता हो गई निराश लोकसभा चुनाव के मुद्दे पर डॉ रमन ने कहा कि भाजपा का एक ही मुद्दा है कि आखिर देश का नेतृत्व कौन करेगा। देश के मान, सम्मान और गौरव बढ़ाने का काम मोदी ने किया है। उनके अलावा विकल्प नहीं है। कांग्रेस ने लोगों को भ्रम में लाकर चुनाव जीता था, लेकिन जनता में 70 दिन में ही निराशा आ गई है।

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