जानिए 45 लाख के इनामी नक्सली कमांडर हिड़मा की कहानी,फोर्थ आई न्यूज़ की ज़बानी
मरा नहीं : हिड़मा अभी ज़िंदा है
नमस्कार दोस्तों, फोर्थ आई न्यूज़ में आप सभी का एक बार फिर से स्वागत है। दोस्तों बीते दिनों यह खबर आई कि छत्तीसगढ़ के सुकमा में खूंखार नक्सली मदवी हिड़मा पुलिस एनकाउंटर में मारा गया है. तेलंगाना-बीजापुर सीमा पर पुलिस के एलीट ग्रेहाउंड्स बल और सीआरपीएफ कोबरा कमांडो के साथ हुई मुठभेड़ में मदवी हिड़मा को ढेर कर दिया गया लेकिन यह खबर महज़ एक अफवाह निकली, हिड़मा अभी भी ज़िंदा है। और अपने अगली मिशन की तैयारियों में जुट गया है।
आज हम आपको हिड़मा की कहानी बताने जा रहे हैं। 25 मई 2013 में छत्तीसगढ़ के बस्तर में झीरम घाटी नक्सली हमला हुआ था, जिसमें कांग्रेस के शीर्ष पंक्ति के राजनेताओं की जान गई थी इस नक्सली हमले के पीछे का मास्टरमाइंड नक्सली कमांडर हिड़मा था। इस हमले में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, विद्या चरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा समेत सुरक्षा में तैनात 29 लोगों की मौत हुई थी। इसके पहले जब साल 2010 में ताड़मेटला की घटना हुई थी जिसमें हमारे 76 जवानों की शहादत हुई थी इसके बाद ही हिड़मा को नक्सली संगठन की कमान सौंपी गई थी। इसके बाद झीरम घाटी के हमले की रणनीति भी हिडमा ने ही तैयार की। 2017 में सुकमा के बुर्कापाल में सेंट्रल रिजर्व फोर्स पर हुए हमले का मास्टरमाइंड भी वही था।
आज से दो साल पहले छत्तीसगढ़ के बीजापुर में हिड़मा के नेतृत्व में नक्सली हमले को अंजाम दिया गया। तारीख थी पांच अप्रेल 2021 जब 22 जवानों की शहादत से पूरा छत्तीसगढ़ एक बार फिर हिल गया था। इस मुठभेड़ में 15 नक्सली भी ढेर हुए थे। हिडमा पहले से ही सैन्य बलों की ‘मोस्ट वांटेड’ की सूची में था। उस पर 25 लाख का ईनाम भी घोषित था जिसे बढाकर अब 45 लाख रुपए कर दिया गया है।
अब हम आपको हिड़मा की पृष्टभूमि बताते हैं। हिड़मा बस्तर के सुकमा जिले के एक छोटे से गांव पुवर्ती से ताल्लुक रखता है। दुबले-पतले और अनपढ़ नक्सली ने अब तक कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है और नक्सलियों के कोर ग्रुप में काफी गहरी पैठ बना ली है। हिडमा ने कोई बुनियादी शिक्षा नहीं ली है पर अब वो फर्राटे से अंग्रेजी बोल लेता है। आधुनिक हथियार चलाने और संचार तकनीक के इस्तेमाल में भी उसने खासी महारत हासिल कर ली है। ट्रेनिंग के बाद हिडमा की पहली पोस्टिंग महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में की गई थी। नक्सली हिड़मा अपनी उम्र के किसी भी माओवादी से बहुत आगे था।
हिडमा, सुकमा के जंगलों में करीब एक हजार लड़ाकों की अपनी ही फौज को संचालित करता है। नक्सलियों के अधिकांश कमांडर आंध्र प्रदेश से आते हैं पर हिडमा अपने शातिर अंदाज और बड़ी घटनाओं के दम पर काफी वरिष्ठ हो गया। बीजापुर की ताजा घटना के बाद अब सुरक्षा बलों को भी उसकी सरगर्मी से तलाश है।
नक्सल कमांडर माडवी हिडमा को संतोष उर्फ इंदमुल उर्फ पोडियाम भीमा जैसे कई नामों से भी जाना जाता है। वह छत्तीसगढ़ पुलिस समेत कई नक्सल प्रभावित राज्यों के पुलिस के लिए मोस्टवांटेड नक्सली है। छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला हिडमा का गढ़ है, जहां पर होने वाली सभी नक्सली गतिविधियों को हिडमा संचालित करता है। हिडमा नक्सली गतिविधी और संगठन पर अच्छी पकड़ के कारण ही सबसे कम उम्र में माओवादियों की टॉप सेंट्रल कमेटी का सदस्य बन गया है।
हिडमा कितने गुप्त तरीके से काम करता है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि सुरक्षा बलों के पास उसकी बस एक तस्वीर है जो 2016 की है। अब हिडमा कैसा दिखता है इसकी जानकारी सुरक्षा बलों के पास भी नहीं है। छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्रप्रदेश समेत कई राज्यों में नक्सली हमलों को अंजाम देने वाले खूंखार नक्सली हिडमा का जन्म सुकमा जिले के में हुआ था। इस गांव में पहुंचने के लिए आज भी ना तो सड़कें हैं और ना ही कोई अन्य सुविधा। आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि राज्य गठन के दो दशक बाद भी इस गांव में स्कूल तक नहीं है। यह गांव दुर्गम पहाड़ियों और घने जंगलों से घिर हुआ है। यहां आज भी नक्सलियों की जनताना सरकार की तूती बोलती है। बताया जाता है कि नक्सल गतिविधियों को अंजाम देने के लिए सभी नीति और रणनीति यह पर तैयार होती है और फिर उस घटना को अंजाम दिया जाता है।
हालांकि जब हमले की रणनीति बनती है तो और भी बड़े-बड़े कमांडर इससे जुड़ते हैं, लेकिन हां, हिडमा जिस हमले को लीड करता है, उसकी रणनीति बनाने में वहीं आगे रहता है।’बताया जाता है कि नक्सली हिड़मा हमेशा करीब 200 नक्सलियों के घेरे की सुरक्षा में रहता है। अभी तक हिड़मा का पकड़ा ना जाना इसे आप किसकी ज़िम्मेदारी मानते हैं और ऐसे नक्सलियों के लिए क्या कोई बड़े ऑपरेशन को लांच करने की भी आप ज़रूरत महसूस करते हैं ?