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क्या कांग्रेस ने कभी सच में गंगाजल लेकर खाई थी शपथ ?

, फोर्थ आई न्यूज़

नमस्कार दोस्तों, फोर्थ आई न्यूज़ में आप सभी का स्वागत है। दोस्तों हमारे प्रदेश में विधानसभा चुनाव काफी नज़दीक हैं। ऐसे में हम लगातार आपसे पिछले चुनाव से जुड़े कुछ पोलिटिकल किस्से साझा करते आ रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसा किस्सा बताने जा रहे हैं जिसकी चर्चा साल 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान खूब हुई थी। तारीख थी 15 नंवबर 2018 छग विधानसभा चुनाव की वोटिंग के लिए उलटी गिनती शुरू हो गई थी। तब कांग्रेस ने अपने राजधानी रायपुर के कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में एक तत्काल प्रेस वार्ता बुलाई। इस प्रेस वार्ता में कांग्रेस के राष्ट्रिय स्तर के नेताओं के साथ-साथ प्रादेशिक स्तर के नेता भी शामिल थे। जिसमें कांग्रेस के तत्कालीन कांग्रेस के संचार प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी, तत्कालीन कांग्रेस नेता आरपीएन सिंह जो अब भाजपा में शामिल हो चुके हैं, तत्कालीन पार्टी प्रवक्ता जयवीर शेरगिल जो अब पार्टी के सदस्य नहीं है, के आलावा कांग्रेस की वर्तमान राष्ट्रिय प्रवक्ता राधिका खेड़ा भी मौजूद थीं।

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेताओं ने मीडिया से पहले बातचीत की फिर एकाएक गंगाजल की बोतल निकाल ली, इस गंगाजल की बोतल लेकर कांग्रेस के सभी नेताओं ने यह कसम खाई की हम सरकार बनने के बाद अपने सभी वादे पूरे करेंगे जिसमें प्रमुख रूप से किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा शामिल था, कांग्रेस नेताओं ने गंगाजल को साक्षी मानकर यह शपथ ली थी कि हम अपने वादों के प्रति प्रतिबद्ध हैं और सभी वाडे जो हमने किए हैं वो पूरे भी किये जाएंगे।

इस घटनाकर्म को सरकार बनने के बाद से अब तक लगभग साढ़े चार साल का समय बीत चुका है। बीजेपी ने अब इसपर चुटकी लेनी भी शुरू कर दी है। . प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने सीएम भूपेश बघेल से यह तक पूछ लिया था कि भूपेश बघेल यदि गंगाजल का डर आपके मन में बैठ गया है तो जनता के बीच आकर साफ करें कि सत्ता में आते ही आपने कितने वादों को घोषणापत्र से निकाल दिया? जिसपर अब यह घटनाक्रम एक बार दोबारा चर्चा में आ गया हलाकि कांग्रेस का कहना है कि गंगाजल की कसम किसानों की कर्ज़ा माफ़ी के लिए खाई थी जिसे भूपेश बघेल ने सीएम पद की शपथ लेने के महज़ एक घंटे के भीतर पूरा भी किया।

मगर दोस्तों आपको क्या लगता है, चुनावी राजनितिक दांवपेंच के बीच किसी धर्म या उससे जुडी किसी आस्था की वास्तु को लाना क्या सही है ? क्या अब राजनितिक पार्टियां जनता से अपना विश्वास इस कदर खो चुकीं हैं कि उन्हें शपथ का सहारा लेना पड़ रहा है ? और सबसे ज़रूरी सवाल यह कि कांग्रेस ने गंगाजल की शपथ खाते हुए जिन वादों को पूरा करने की बात कही थी क्या उसपर अमल किया गया है ?

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