सनग्लास खरीदते हुए कभी न करें ये 5 ग़लतियां, आंखें हो जाएंगी कमज़ोर
गॉगल्स के बारे में आम धारणा है कि जितने डार्क होंगे, उतने ही अच्छे होंगे. ये धारणा सही नहीं है. डार्कनेस का अल्ट्रावायलेट किरणों से बचाव से कोई ताल्लुक नहीं.गर्मियों का मौसम आते ही सनस्क्रीन के अलावा सनग्लास भी जरूरी हो जाते हैं. आंखों की सेहत के लिए धूप में निकलते वक्त ये बहुत जरूरी भी हैं.
गॉगल्स के बारे में आम धारणा है कि जितने डार्क होंगे, उतने ही अच्छे होंगे
लेकिन सनग्लास का डार्क होना ही काफी नहीं. कई बार लोग केवल डार्क ग्लास को ही धूप का चश्मा मान लेते हैं. ये आंखों के लिए अच्छा नहीं. ये यूवी रेज़ से आंखों को बचा नहीं पाते और नुकसान भी पहुंचाते हैं. हम आपको बता रहे हैं कुछ टिप्स, जिनसे आप अपने लिए सही सनग्लासेज का चुनाव कर सकते हैं.
ये यूवी रेज़ से आंखों को बचा नहीं पाते और नुकसान भी पहुंचाते हैं.
*धूप का चश्मा ऐसा ही लें, जिनसे आपकी आंखें पूरी तरह से ढंक जाएं. आंखों के लिए यही सही रहते हैं. छोटे सनग्लासेज की अगर डिजाइन पसंद आ रही हो तो ये कभी-कभार थोड़ी देर पहनने के लिए ले सकते हैं.
*चश्मा वही ठीक रहता है, जो चेहरे पर फिट आ सके, यानी न तो बहुत ढीला हो और न ही बहुत कसा हुआ. इससे आंखों की सुरक्षा होती है.
*कोशिश करें कि सनग्लास ब्रांडेड हों. इनमें अल्ट्रावायलेट किरणों से निपटने की क्षमता होती है. अगर धूप में ज्यादा वक्त बीतता हो तो इसका ख्याल रखना जरूरी है.
*बहुत से ग्लासेज कई रंगों में आते हैं. अगर आपके चेहरे पर ये अच्छे लग रहे हैं, आंखों को पूरी तरह से ढंक रहे हैं तो इन्हें लेने में कोई परेशानी नहीं, बशर्तें ये अल्ट्रावायलेट प्रोटेक्शन भी देते हों.
*आंखें कमजोर हों तो पावर्ड ग्लास लेने की कोशिश करें. इससे आंखों की सुरक्षा होती है और साथ ही देखने में भी कोई परेशानी नहीं होती है.
*इन सारी चीजों का ध्यान रखने के लिए साथ ही सनग्लास लेते हुए चेहरे के शेप का भी ध्यान रखें. इससे आंखों का बचाव तो होता ही है, चेहरे का आकर्षण भी बढ़ जाता है.