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नईदिल्ली : समलैंगिक संबंधों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस

नई दिल्ली : सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को समलिंगी संबंधों पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया है। मसलन समान लिंग के दो वयस्कों के बीच आपसी रजामंदी से अप्राकृतिक यौन संबंधों को अपराध घोषित करने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को चुनौती देने वाली नई याचिका पर केन्द्र सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर मामले को स्पष्ट करने को कहा है। यह याचिका प्रतिष्ठित आईआईटी के 20 पूर्व और वर्तमान छात्रों के एक समूह ने दायर की है।

सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को समलिंगी संबंधों पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया है

प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने सरकार से जवाब मांगते हुए इस याचिका को इसी तरह की अन्य याचिकाओं के साथ नत्थी करने का आदेश दिया। बता दें कि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिका दाखिल है। इन याचिकाओं को शीर्ष अदालत द्वारा आठ जनवरी को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजा गया है।

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिका दाखिल है

विभिन्न आयुवर्ग के वैज्ञानिकों, शिक्षकों, उद्यमियों और अनुसंधानकतार्ओं सहित आईआईटी के 20 पूर्व और वर्तमान छात्रों ने दावा किया कि यौन इच्छा को अपराध की श्रेणी में लाने से शर्म, आत्मसम्मान के खोने और कलंक की भावना आती है। याचिका कर्ता समूह का दावा है कि वे सभी सदस्य एलजीबीटी समुदाय से आते हैं। यह याचिका आईआईटी के एलजीबीटी पूर्व छात्र संघ द्वारा दायर की गई। इस संगठन का दावा है कि उसके 350 से अधिक सदस्य हैं। याचिका दायर करने वालों में आईआईटी दिल्ली के 19 साल के छात्र से लेकर 1982 में आईआईटी से स्नातक तक शामिल हैं।

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