छत्तीसगढ़बड़ी खबरेंरायपुर

रायपुर प्रेस क्लब के नये पदाधिकारियों ने लिया शपथ, वरिष्ठजनो ने साझा किए अपने अनुभव

रायपुर। रायपुर प्रेस क्लब में पांच साल बाद 17 फरवरी को चुनाव संपन्न हुआ और 10 मार्च को नये पदाधिकारियों ने पूर्व प्रेस अध्यक्षों व वरिष्ठ पत्रकारों की उपस्थिति में शपथ लिया। वरिष्ठ पत्रकार दिवाकर मुक्तिबोध ने अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर, उपाध्यक्ष संदीप शुक्ला, महासचिव डॉ वैभव शिव पांडे, कोषाध्यक्ष रमन हलवई, संयुक्त सचिव तृप्ति सोनी व बम्लेश्वर (अरविंद) सोनवानी को शपथ दिलवाया। इस दौरान वरिष्ठजनों ने अपने कार्यकाल के दौरान किए गए कार्यो का अनुभव साझा किया।
वरिष्ठ पत्रकार दिवाकर मुक्तिबोध ने कहा कि इस बात से मैं आनंदित हूं कि एक बार फिर से प्रेस क्लब में वरिष्ठजनों का आना शुरु हुआ है। जब वे पत्रकारिता की शुरुआत किए थे तब गिनती के 8-10 लोग ही प्रेस क्लब में आया करते थे और पत्रकारवार्ता अटेन कर चला जाए करते थे। उन्होंने अपने पत्रकारिता के जीवन में दो बार कफ्यू लगते हुए देखा है और इस दौरान कुछ पत्रकार तो डंडा भी खाए है। पत्रकारिता करते समय हमें यह नहीं देखना चाहिए कि सरकार किसकी हैं लेकिन अभी जो पत्रकारिता हो रही है वह समझ से परे है। जब वे पत्रकारिता करते थे तो सरकार में बैठे लोग डरते थे कि आज उनके खिलाफ कहीं खबर तो प्रकाशित या प्रसारित न हो जाए। जब हमारा छत्तीसगढ़ नहीं बना था और वह मध्यप्रदेश में आया करता था उस समय किसी बात को लेकर पत्रकारों और सरकार के कुछ नुमाइंदों के साथ कहासुनी हो गई थी और रायपुर पे्रस क्लब के नेतृत्व में रायपुर सहित छत्तीसगढ़ के पत्रकारों ने राज्य सरकार की खबरों को अपने मीडिया संस्थान में छापने से मना कर दिया था और इसका अखबार के मैनेजमेंट और मालिकों ने पूरा समर्थन किया था। इस बात की जानकारी जैसे ही कलेक्टर और कमिश्नर को हुआ और रायपुर प्रेस क्लब आए और माफी मांगे। मैं युवा पत्रकारों खासकर महिला पत्रकारों को से कहना चाहते है कि उस समय गिने-जुने ही महिला पत्रकार हुआ करती थी जब भी वे काव्हरेज करने जाए तो दो पहलुआ को जरुर देंखे इससे हमारे समाज पर क्या असर होगा और दोनों को दिखाएंगे। अगर राज्य सरकार अच्छा कर रही है तो उसका तरीफ जरुर करें लेकिन उसके दूसरे पहलुओं पर भी नजर जरुर रखें और उसे भी दिखाएं और पढ़ाएं। एकतरफा रिपोर्टिंग नहीं होनी चाहिए, जो उस समय हो सकता है वह इस क्यों नहीं। रायपुर प्रेस क्लब के नये पदाधिकारियों अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर, उपाध्यक्ष संदीप शुक्ला, महासचिव डॉ वैभव शिव पांडे, कोषाध्यक्ष रमन हलवई, संयुक्त सचिव तृप्ति सोनी व बम्लेश्वर (अरविंद) सोनवानी को वरिष्ठ पत्रकार दिवाकर मुक्तिबोध ने शपथ दिलवाया। इस दौरान उनकी टीम ने रायपुर प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्षों को स्मृति चिन्ह के रुप में पुस्तक भेंट कर सम्मानित किया।
रायपुर प्रेस क्लब के वरिष्ठ पत्रकारों ने अपने कार्यकाल के अनुभवों को अनुभवों को शेयर किया। वरिष्ठ पत्रकार केके शर्मा ने कहा कि हनुमान जी को भी छोटा रूप लेकर बड़े-बड़े कार्य करना पड़ा वैसे ही हमारे पत्रकारों को भी करना पड़ रहा है। रायपुर प्रेस क्लब पूरे छत्तीसगढ़ का नेतृत्व करता है और राज्य के सभी प्रेस क्लब के अध्यक्षों को मिलकर एक मजबूत टीम बनाकर कार्य करना चाहिए। त्रिराज साहू ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि राजधानी रायपुर में जो भी सेलिब्रिटी यहां आते हैं उन्हें एक बार जरुर प्रेस क्लब बुलाना चाहिए और युवा पत्रकार यह देख और सीख सकें कि वरिष्ठजन कैसे सवाल करते हैं और उनसे चर्चा करते है। क्योंकि हमारे समय में जो भी सेलीब्रिटी रायपुर आते थे तो उन्हें रायपुर प्रेस क्लब में आना जरुरी होता था और इस दौरान जो युवा पत्रकार यहां आते थे उन्हें सह सिखाया जाता था कि उनसे कैसे बातचीत किया जाता है और सवाल किया जाना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार उमेश मिश्रा ने कहा कि यहां पर 23 साल से लेकर 73 साल के पत्रकार मौजूद है और यह हमारे रायपुर प्रेस क्लब के लिए ऐतिहासिक क्षण है और यह पत्रकारों की एकता मीडिया को ऊंचाई की बुलंदी पर ले जाएगी। यह उपस्थिति बता रही हैं कि अब मीडिया की ताकत मजबूत हुई है और हमें इस मजबूती को टूटने नहीं देना। रायपुर प्रेस क्लब के नये अध्यक्ष प्रफुल्ल ठाकुर और उनकी टीम को शुभकामनाएं देते हुए सलाह दिया कि इस ताकत को टूटने न दें और वरिष्ठजनों से समय-समय पर सलाह जरुर लें। वरिष्ठ पत्रकार राजेश जोशी ने कहा कि रायपुर प्रेस क्लब का इतिहास काफी पुराना रहा है और वे नये पदाधिकारियों से यह उम्मीद करते है कि वे अच्छे कार्य करेंगे तो सदस्यगण दोबारा उन्हें जरुर चुनेंगे। वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश शर्मा ने अपना अनुभव साझा करते हुए कहा कि पत्रकारवार्ता क्या होता है यह उन्होंने अपने वरिष्टजनों से सीखा है। जब कोई वरिष्ठजन पत्रकारवार्ता में बैठते थे तो हमारी हिम्मत नहीं होती थी कि हम वहां जाकर बैठ जाएं और डरते थे। लेकिन सीनियरों ने उनकी भावनाओं को समझा और कहा कि डरने की जरुरत नहीं है जब तक तुम यहां बैठकर यह नहीं जानागे कि पत्रकारवार्ता क्या होती है और कैसे सवाल किया जाता है तुम नहीं सीख पाओगे। उन्होंने हमें उंगली पकड़कर यह सब सिखाया। नये पदाधिकारियों से मैं यह कहना चाहूंगा कि पुरानी परंपराओं को फिर से शुरु करते हुए बौद्धिक गतिविधियों को फिर से चालू किया जाए।
वरिष्ठ पत्रकार आसिफ इकबाल ने कहा कि रायपुर प्रेस क्लब हमारा परिवार है, आज कल लोग कहते हैं कि 73 की उम्र हो गई है और अब भी पत्रकारिता कर रहे है यह सुनकर मुझे अच्छा लगता। युवा पीड़ी हमें इस बहाने याद दो करता है और मुझे रायपुर प्रेस क्लब अपना परिवार लगता है। निर्वाचित पदाधिकारियों को बधाई देते हुए कहा कि एक साल का कार्यकाल बहुत कम होता है और इसे दो साल किया जाना चाहिए क्योंकि तीन-चार महीने तो पे्रस क्लब की पुरानी गतिविधियो को समझने में लग जाता है। उन्होंने कहा कि दुख इस बात का लगा कि पिछले कार्यकारिणी के सदस्यों ने वरिष्ठजनों की नाम पट्टिा को कुड़े में डाल दिया था यह हमारे दिवंगतों और वरिष्ठ पत्रकारों का अपमान है ऐसा दोबारा नहीं होना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार बृजेश चौबे ने अनुभव शेयर करते हुए वरिष्ठों को प्रमाण और नये पदाधिकारियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि दुख तब लगता है जब कुछ लोग यह कहते हैं कि यह काम मेरे कार्यकाल में हुआ और इसे मैंने कराया, वह यह नहीं कहते हैं कि हमने रायपुर प्रेस क्लब की जरुरतों और हितों को ध्यान में रखकर कार्य किया है। नये पदाधिकारियों से यह उम्मीद हैं कि वे इन सब बातों की ओर ध्यान देंगे और रायपुर प्रेस क्लब को अपना परिवार समझकर कार्य करेंगे। वरिष्ठ पत्रकार आसिफ इकबाल की बातों पर हम सहमत हैं कि कार्यकाल दो साल का होना चाहिए और इसके लिए जल्द सामान्य सभा बुलाकर पारित करवाने के साथ बॉयलॉज में भी संशोधन करना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार रामावतार तिवारी ने नवनिर्वाचित टीम को बधाई देते हुए कहा कि पूरी टीम अच्छा काम करें और पूरे प्रदेश में ऐसा संदेश जाना चाहिए कि बाहर के पत्रकार भी यहां आकर देखें और सीखें। राजनीति में किया गया काम हो गया समाज में अगर अच्छे कार्य करोगे तो लोग उसे हमेशा याद करते है। दामु अमबडे ने कहा कि अच्छे काम का अच्छा नतीजा आना चाहिए।
मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार पंकज झा ने कहा कि नंदकिशोर शुक्ला उनके प्रेरणा स्रोत हैं और वरिष्ठ पत्रकार दिवाकर मुक्तिबोध के सामने राज्य सरकार की ओर से कह कहना चाहते हैं कि पत्रकारों को अब अभिव्यक्ति की आजादी का खतरा नहीं उठाना पड़ेगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button