अब चैक बाउंस को जुर्म नहीं माना जाएगा ?

नई दिल्ली. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार फाइनेंशियल सेक्टर से जुड़े कई कानूनों को बदलने की तैयारी में है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सरकार चाहती है कि चेक बाउंस होने को जुर्म न माना जाये बल्कि उस व्यक्ति पर जुर्माना आदि लगाकर सजा दी जाए.
आपको बता दें कि वित्तीय सेवा विभाग ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, बीमा अधिनियम और निगोशिबल रेग्युलेशन अधिनियम के 39 अधिनियमों को डिक्रिमिनलाइज करने पर सार्वजनिक टिप्पणी मांगी है.
बदल सकता है चेक बाउंस से जुड़ा कानून-
अंग्रेजी के बिजनेस अखबार इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के मुताबिक, सरकार ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में सुधार के लिए कई कानूनों में बदलाव पर विचार कर रही है. इससे कारोबारियों को कोर्ट के चक्कर काटने से छुटकारा मिलेगा. फिलहाल चेक बाउंस होने पर दो साल तक कैद का प्रावधान है. साथ ही जितने रुपये की चेक काटी गई है उसका दोगुना तक का जुर्माना लग सकता है.
डीएफएस (वित्तीय सेवा विभाग ) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कई छोटे-मोटे वित्तीय नियमों का न पालन न करने पर व्यवसायों पर बोझ बढ़ जाता है.यह जरूरी है कि उन प्रावधानों पर फिर से विचार किया जाए जो केवल प्रक्रियात्मक हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक हित को प्रभावित नहीं करते हैं.”
सरकार ने कहा है कि जटिल कानूनी प्रक्रियाओं से बिजनेसमैन का कोर्ट कचहरी में समय खराब न हो इसके लिए सरकार इन कानूनों में बदलाव पर विचार कर रही है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी के बजट भाषण में कई कानूनों को डिक्रिमिनलाइज करने के लिए सरकार की मंशा की घोषणा की थी .
चेक बाउंस से जुड़ा कानून क्या कहता है-
नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 इसके सेक्शन 138 के मुताबिक अगर कोई एडमिटिड लायबिलिटी (स्वीकार्य देनदारी) हो, और चेक को इस देनदारी के भुगतान के लिए जारी किया गया हो, तभी इस चेक के बाउंस होने पर यह कार्रवाई के दायरे में आएगा.
यानी अगर आपको किसी के रुपए लौटाने हैं या कोई पेमेंट करना है, जिसे आपने स्वीकार किया है, उस मामले में चेक बाउंस होने पर नेगाेशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 के तहत आप पर केस दर्ज किया जा सकता है.
अगर किसी का दिया हुआ चेक बाउंस हो जाए तो क्या करें?
मान लीजिए आपने अपने अकाउंट में 10 जून को चेक जमा कराया और 11 जून को आपके बैंक ने चेक बाउंस की सूचना आपको दी, तो इसके 30 दिन के अंदर (11 जून से 11 जुलाई के बीच) आपको चेक देने वाली पार्टी को लीगल नोटिस भेजना होगा.
इसमें आपको बताना होगा कि आपने अपनी देनदारी को खत्म करने के लिए जो चेक दिया था, वह मैंने बैंक में जमा कराया, लेकिन वह बाउंस हो गया. लिहाजा आप मुझे ब्याज सहित देय राशि लौटाएं.
अगर आपने 21 जून को यह नोटिस भेजा, तो दूसरी पार्टी नोटिस मिलने के 15 दिनों के अंदर आपको पैसे लौटाने के लिए बाध्य है. नोटिस भी आपको रजिस्टर्ड पोस्ट से ही भेजना होगा, ताकि आप उसे ट्रैक कर सकें. इसे आपको कोर्ट में भी बताना पड़ता है, कि नोटिस उस पार्टी तक पहुंच गया है.