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क्या शांति की ओर बढ़ रहा है यूक्रेन-रूस युद्ध? पुतिन ने रखीं 3 अहम शर्तें

दो साल से भी ज़्यादा समय से गोलियों और मिसाइलों की गूंज में डूबे यूक्रेन और रूस के बीच अब एक नई हलचल दिख रही है—इस बार युद्ध नहीं, बल्कि शांति की।

पुतिन का प्रस्ताव: अबकी बार सुर नरम?

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहली बार यूक्रेन को लेकर तीन मुख्य शर्तें सार्वजनिक की हैं, जिनके आधार पर रूस एक संभावित युद्धविराम पर विचार करने को तैयार है। ये शर्तें हैं:

यूक्रेन अपनी सेना डोनबास से हटा ले,

नाटो में शामिल होने की योजना को छोड़ दे,

और भविष्य में तटस्थ राष्ट्र के तौर पर खुद को घोषित करे।

इन शर्तों के जरिए पुतिन ने न सिर्फ पश्चिम को संदेश देने की कोशिश की है, बल्कि यह भी संकेत दिया है कि अगर यूक्रेन लचीलापन दिखाता है, तो रूस भी पीछे हटने को तैयार है—कम से कम आंशिक रूप से।

ट्रंप-पुतिन मुलाकात के बाद बदला माहौल

इस प्रस्ताव की टाइमिंग भी खास है। कुछ ही दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पुतिन की अलास्का में हुई शिखर वार्ता ने कूटनीतिक हलकों में हलचल मचा दी थी। आधिकारिक बयान तो सीमित रहे, लेकिन सूत्रों की मानें तो पुतिन ने अमेरिकी पक्ष को अपने प्रस्तावों की एक स्पष्ट सूची सौंप दी है। क्या ट्रंप के साथ हुई ये मुलाकात ही पुतिन के रुख में बदलाव की वजह बनी? यह अभी अनुमान का विषय है।

कभी ‘सबकुछ’ मांगने वाले अब आधे पर राज़ी?

गौरतलब है कि जून 2024 में पुतिन ने यूक्रेन के चार प्रांत—डोनबास, खेरसॉन, जापोरिज्जिया और लुहान्स्क—पर पूर्ण नियंत्रण की मांग की थी। लेकिन अब, वह दो क्षेत्रों में सैन्य पकड़ बनाए रखते हुए बाकी इलाकों में संघर्ष विराम की बात कर रहे हैं। यह बदलाव उनके रणनीतिक रुख में लचीलापन दिखाता है।

नाटो पर अब भी सख्त रुख

हालांकि, एक मुद्दा ऐसा है जिस पर पुतिन टस से मस नहीं हुए—नाटो। रूस की मांग है कि अमेरिका और पश्चिमी देश कानूनी रूप से गारंटी दें कि यूक्रेन कभी भी नाटो में शामिल नहीं होगा, और न ही वहां किसी तरह की पश्चिमी ‘शांति सेना’ तैनात की जाएगी।

आगे क्या? यूक्रेन के लिए ये एक अग्निपरीक्षा

अब सवाल है—क्या यूक्रेन अपनी ज़मीन छोड़ने को तैयार होगा, सिर्फ इसलिए कि युद्ध रुके? या वह अंत तक लड़ाई जारी रखेगा, भले ही इसकी कीमत और भी ज़्यादा तबाही हो?

शांति का रास्ता हमेशा कांटों भरा होता है। लेकिन संवाद की शुरुआत शायद पहली ईंट होती है उस पुल की, जो युद्ध को खत्म कर सकता है।

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