रायपुर : माक्र्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने स्थापना व्यय कम करने के नाम पर सरकारी नौकरियों पर प्रतिबंध जारी रखने की भाजपा सरकार के फैसले की कड़ी निंदा की है तथा इसे ‘रोजगारहीन विकास’ का प्रतीक बताते हुए बेरोजगारों की आकांक्षाओं के साथ खिलवाड़ कहा है। आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिवमंडल ने कहा है कि चुनावों में भाजपा ने बेरोजगारों को काम देने का वादा किया था,
सरकारी नौकरियों पर प्रतिबंध जारी रखने की भाजपा सरकार के फैसले की कड़ी निंदा की है
लेकिन चुनाव जीतने के बाद से सरकारी नौकरियों पर प्रतिबंध जारी रखना उसकी बेरोजगारविरोधी मानसिकता को बताता है, जबकि राज्य में 25 लाख पंजीकृत बेरोजगार है और इसमें हर साल 5 लाख की वृद्धि हो रही है. सरकारी विभागों में डेढ़ लाख से ज्यादा पद वर्षों से रिक्त है, लेकिन इन्हें भरने से इंकार किया जा रहा है।
राज्य में 25 लाख पंजीकृत बेरोजगार है और इसमें हर साल 5 लाख की वृद्धि हो रही है
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी का प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ा है और निजी क्षेत्र में रोजगार वृद्धि की दर लगभग शून्य है. यह क्षेत्र मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी तक देने से इंकार कर रहा है. दूसरी ओर इस सरकार के पास जूते, चप्पल, साड़ी और मोबाइल बांटने जैसी चुनावी योजनाएं तो है,
निजी क्षेत्र में रोजगार वृद्धि की दर लगभग शून्य है
लेकिन प्रदेश की गरीब जनता की वास्तविक आय में वृद्धि और उन्हें सामाजिक सुरक्षा देने की कोई योजना नहीं है। माकपा ने कहा है कि ऋण-भार बढऩे के लिए इस सरकार की नीतियां जिम्मेदार है, जिसने रोजगार सृजन को प्राथमिकता देने के बजाये ‘लोकलुभावन चुनावी योजनाओं’ पर खर्च करने को ही प्राथमिकता दी है. यह सरकार विभिन्न विभागों में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं पर भी काबू पाने में नाकाम रही है, जिसका खुलासा हर साल कैग की रिपोर्टों में होता रहा है।