
रायपुर
- छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद विश्वविद्यालयों में विचारधारा की लड़ाई शुरू हो गई है। बताया जा रहा है कि नई सरकार विश्व विद्यालयों में अपनी विचारधारा के शिक्षाविदों की नियुक्ति की तैयारी में है। छत्तीसगढ़ में 15 साल तक भाजपा की सरकार थी। भाजपा पर देश भर में लगातार शिक्षा के भगवाकरण के आरोप लगाए जाते रहे हैं।
- अब कांग्रेस वर्तमान कुलपतियों को आरएसएस की विचारधारा का मानकर उन्हें हटाने का जुगत भिड़ा रही है। मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में कुलपतियों की नियुक्ति से संबंधित एक विधेयक को मंजूरी दी गई है।
- कहा जा रहा है कि इस विधेयक के पारित होने के बाद सरकार को यह अधिकार होगा कि वह उप कुलाधिपति की नियुक्ति कर पाए। उप कुलाधिपति क्या होंगे यह अभी साफ नहीं है लेकिन माना जा रहा है कि इस बहाने सरकार राज्यपाल से कुलपतियों की नियुक्ति का अधिकार छीनने जा रही है।
- विश्व विद्यालयों में प्रशासनिक पदों पर विशेष सचिव स्तर के अधिकारी नियुक्त किए जा सकेंगे। ये प्रभारी कुलपति या रेक्टर कहे जाएंगे। ऐसा हुआ तो राज्यपाल का अधिकार छिन जाएगा।
तनातनी की ये है वजह
- सूत्र बताते हैं कि कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर सरकार और राज्यपाल में पहले से ही ठनी हुई है। सरकार चाहती है कि सभी कुलपति इस्तीफा दें ताकि वह अपने हिसाब से नियुक्तियां करा पाए। कुलपति कह रहे हैं कि इस्तीफा क्यों दें, कोई कारण भी तो हो।
- संकट यह है कि सरकार सीधे किसी कुलपति को हटा नहीं सकती। इसके लिए विश्व विद्यालय अधिनियम 1972 की धारा 52 के तहत कदाचरण या भ्रष्टाचार का आरोप साबित करना होगा। भ्रष्टाचार के आरोप तो पहले से ही कई कुलपतियों पर हैं, इसी आधार पर उन्हें घेरने की धमकी भी शासन दे रहा है।
- सरकार न तो इस्तीफा ले पा रही न नियुक्ति करा पा रही। नियुक्ति तो राज्पाल को करनी है। इसीलिए विधेयक लाया जा रहा है। इस विधेयक में धारा 36 और 38 में संशोधन करके नियुक्ति के अधिकार में बदलाव करने के संकेत हैं।
दबाव में हैं कुलपति
- सूत्र बता रहे हैं कि सरकार बदलने के बाद कुलपतियों से हटने को कह दिया गया था। सात में से एक दुर्ग विश्व विद्यालय के कुलपति ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को भेज भी दिया लेकिन राजभवन से मंजूरी नहीं मिली। अन्य कुलपति कह रहे हैं कि कारण बताओ क्यों दें इस्तीफा। यानी यह लड़ाई अभी लंबी खिंचने वाली है।