दंतेवाड़ा में बाढ़ और राहत कार्यों की समीक्षा बैठक, चार जिलों में 115 करोड़ की क्षति

रायपुर। दंतेवाड़ा ज़िले के डंकनी सभाकक्ष में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बाढ़, आपदा और राहत कार्यों की विस्तृत समीक्षा की। इस बैठक में बस्तर संभाग के दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर और बस्तर जिलों के कलेक्टरों सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री टंकराम वर्मा, वन मंत्री और जिले के प्रभारी मंत्री केदार कश्यप, बस्तर सांसद महेश कश्यप, विधायक चैतराम अटामी और जिला पंचायत अध्यक्ष नंदलाल मुड़ामी भी बैठक में शामिल हुए।
मुख्यमंत्री ने 26-27 अगस्त को हुई अतिवृष्टि से हुई क्षति और राहत कार्यों की जानकारी ली और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई की सराहना की। उन्होंने बताया कि प्रभावित ग्रामीणों से बातचीत में प्रशासन की तत्परता को लेकर संतुष्टि जताई गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बाढ़ के कारण हुई जन-धन और अधोसंरचना की क्षति अपूरणीय है, लेकिन राहत के लिए जिला प्रशासन द्वारा फौरन कदम उठाए गए। साथ ही, शासकीय कर्मियों द्वारा एक दिन का वेतन दान देना भी एक अनुकरणीय पहल है। बताया गया कि चारों जिलों में लगभग 115 करोड़ रुपये की अधोसंरचनात्मक क्षति हुई है, जिसे ठीक करने के लिए राज्य सरकार हरसंभव सहयोग देगी।
गैर-सरकारी और स्वैच्छिक संगठनों की भूमिका की भी बैठक में प्रशंसा की गई।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि राहत और स्वास्थ्य शिविर तब तक जारी रखें जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती। उन्होंने प्रभावितों से लगातार संपर्क में रहने, डोर-टू-डोर स्वास्थ्य जांच करने और आवश्यक दवाएं तत्काल उपलब्ध कराने पर जोर दिया। साथ ही, राहत राशि भी शीघ्र जारी करने को कहा गया।
बैठक में प्रमुख सचिव सुबोध कुमार सिंह ने राष्ट्रीय राजमार्गों पर यातायात बाधित न हो, इसके लिए आवश्यक प्रस्ताव तत्काल भेजने को कहा। केशकाल क्षेत्र में सड़क मरम्मत हेतु तात्कालिक कार्रवाई के निर्देश दिए गए।
आपदा प्रबंधन सचिव रीना कंगाले ने पशुहानि के मुआवजे के लिए नवीन दिशा-निर्देशों के तहत राशि आवंटित करने के निर्देश दिए। स्वास्थ्य विभाग की संचालक प्रियंका शुक्ला ने प्रभावित इलाकों में मलेरिया, टाइफाइड और जलजनित बीमारियों की रोकथाम के लिए क्लोरीनेशन और डोर-टू-डोर सर्वे की जरूरत पर बल दिया।
बैठक में चारों जिलों के कलेक्टरों ने बाढ़ से हुई क्षति, क्षतिग्रस्त सड़कों, पुल-पुलियों, बाधित संचार व्यवस्था और राहत कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। प्रभावित गांवों, बह गए घरों और मवेशियों का विवरण पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।
प्रशासन ने बताया कि सर्वाधिक क्षति नदी और नालों के किनारे बसे गांवों में हुई, लेकिन समय रहते राहत पहुंचाई गई। राहत शिविरों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाकर खाद्य सामग्री और चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराई गई।
इस अवसर पर संभागायुक्त डोमन सिंह, आईजी सुंदरराज पी, दंतेवाड़ा कलेक्टर कुणाल दुदावत, सुकमा कलेक्टर देवेश ध्रुव, बीजापुर कलेक्टर संबित मिश्रा, जिला पंचायत बस्तर के सीईओ प्रतीक जैन और अन्य अधिकारी मौजूद रहे।