
रायपुर। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्री श्याम बिहारी जायसवाल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान एक जनआंदोलन का रूप ले चुका है। खासकर दूर-दराज के आदिवासी अंचल दंतेवाड़ा में यह अभियान उन गर्भवती महिलाओं के लिए वरदान बन गया है, जो अब तक जरूरी स्वास्थ्य सेवाओं से दूर थीं।
मुख्यमंत्री श्री साय ने हाल ही में कहा, “माताओं का स्वास्थ्य ही समाज की नींव है। हर महिला को सुरक्षित मातृत्व मिले और हर नवजात को स्वस्थ जीवन – यही हमारा लक्ष्य है।”
राज्य सरकार की यही प्रतिबद्धता दंतेवाड़ा जैसे इलाकों में साफ़ नज़र आ रही है। कलेक्टर श्री कुणाल दुदावत के मार्गदर्शन में गांव-गांव में प्रसव पूर्व जांच शिविर लगाए जा रहे हैं। इन शिविरों में न केवल नियमित जांचें की जा रही हैं, बल्कि महिलाओं को पोषण, टीकाकरण, दवा और सुरक्षित प्रसव की संपूर्ण जानकारी भी दी जा रही है।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजय रामटेके बताते हैं कि 9 जून 2025 तक 4,555 गर्भवती महिलाओं का पंजीयन हो चुका है। इनमें से 2,000 से अधिक महिलाएं शिविरों तक पहुंच चुकी हैं। अब तक 721 हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं की पहचान कर ली गई है, जिनमें से 580 को विशेष चिकित्सा सेवाएं दी जा चुकी हैं।
विशेष सेवाओं में सोनोग्राफी, हीमोग्लोबिन, सिकलिंग, शुगर टेस्ट, बीपी, एचईवी और हेपेटाइटिस जैसी जांचें, साथ ही पोषण और परिवार नियोजन परामर्श शामिल हैं। जिले के गीदम एमसीएच अस्पताल और किरंदुल केंद्रीय अस्पताल इन सेवाओं के प्रमुख केंद्र हैं।
इस अभियान की रीढ़ बन रही हैं 102 एंबुलेंस सेवाएं और संस्थागत वाहन, जो यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि दूरदराज की महिलाएं भी समय पर स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंच सकें।
इस तरह छत्तीसगढ़ का यह प्रयास मातृत्व और शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक मॉडल बनकर उभर रहा है। यह अभियान सिर्फ आंकड़े नहीं बदल रहा, बल्कि हजारों जिंदगियों में भरोसे की लौ जगा रहा है।