30 साल पुराने हिरासत में मौत के मामले में बर्खास्त संजीव भट्ट को उम्रकैद की सजा
अहमदाबाद। हिरासत में शख्स की मौत के मामले में गुजरात के बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को जामनगर कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। जामनगर सेशंस कोर्ट के जज डी एम व्यास ने इस मामले की सुनवाई के बाद गुरुवार को पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट व हैड कांस्टेबल झाला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। जिस मामले में संजीव भट्ट को सजा सुनाई गई है वो 1990 का है।
दरअसल, उस समय जामनगर में भारत बंद के दौरान हिंसा हुई थी और तब संजीव जामनगर के एसपी थे। हिंसा के दौरान पुलिस ने 130 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया था और दावा है कि इस दौरान हिरासत में एक आरोपी की मौत हो गई थी। मौत के मामले में संजीव और उनके साथियों पर मारपीट का केस लगा था और तब से लेकर अब तक यह मामला चला आ रहा था।
यह है मामला
जामनगर के जामजोधपुर में वर्ष 1990 में प्रभूदास वैश्नानी नामक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया था। हिरासत में पुलिस प्रताड़ना के चलते उसकी मौत हो गई थी। मृतक के परिजनों के बयान के आधार पर आईपीएस संजीव, हैड कांस्टेबल प्रवीण सिंह झाला सहित सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।परिजनों का आरोपथाकि हिरासत में पिटाई के कारण उसकीमौत हुई।अदालत ने गवाहोंव सबूतों के आधार पर यह फैसला सुनाया।
भट्ट को लंबे समय तक ड्यूटी से अनुपस्थित रहने के कारण 2011 में निलंबित किया गया था तथा अगस्त 2015 में बखार्स्त कर दिया गया था। उन्होंने इस मामले में 12 जून को सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर 10 अतिरिक्त गवाहों के बयान लेने का आग्रह किया था पर अदालत ने इसे खारिज कर दिया था।