संपादकीय

रास्ता क्लीयर है…।, वरिष्ट पत्रकार सौरभ तिवारी की फेसबुक वॉल से…


मोदी विरोध की देश को भारी कीमत चुकानी पड़ रही है। हिंदू वोटों में विभाजन करके नरेंद्र मोदी को दोबारा सत्ता में आने से रोकने की विपक्ष की रणनीति की कामयाबी का संकेत SC-ST एक्ट में संशोधन के खिलाफ बुलाए गए भारत बंद से मिल गया है। इस बात में भी कोई संदेह नहीं रह गया है कि भारत बंद के जरिए हिंदू वोट बैंक में दरार डालने के बाद इसे खाई में तब्दील करने में अभी कई और शातिर चालें चली जाएंगी.

भारत बंद बुलाने के पीछे की वजह भले प्रत्यक्ष तौर पर SC-ST एक्ट में किया गया संशोधन नजर आए लेकिन दरअसल ये मोदी को मात देने के लिए हिंदू वोटों में विभाजन की रची जा रही साजिश की ही एक कड़ी थी, जिसे कुटिलता के साथ अंजाम देने में विपक्ष सफल रहा है। SC-ST एक्ट के दुरुपयोग को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जो बंदिश लगाई, उसके पक्ष और विरोध में अपने-अपने तर्क हो सकते हैं, लेकिन सियासी नुकसान को भांपते हुए सरकार पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को तो राजी हो ही गई थी, लिहाजा ऐसे में भारत बंद का कोई औचित्य रह नहीं गया था। लेकिन मोदी विरोधियों को पता था कि SC-ST एक्ट के तौर पर उसे एक ऐसा विध्वंसक हथियार हाथ लगा है जिसके जरिए हिंदू वोट बैंक को तहस-नहस किया जा सकता है। लिहाजा भारत बंद को समर्थन देने में विपक्षी दल पीछे नहीं रहे और समर्थन की परिणति उनके मन मुताबिक ही निकली। कांग्रेस की तो जैसी मनचाही मुराद ही पूरी हो गई, तभी तो कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ट्वीट करके अपने कथित हक के लिए सड़कों पर उतरे उपद्रवियों को सलाम करना नहीं भूले.

संसद में हंसी पर वरिष्ट पत्रकार सौरभ तिवारी का पिछला आर्टिकल भी पढ़ें ।

भारत बंद के जरिए हिंदुओं में वैमनस्यता फैलाने की चाल कामयाब होने पर मोदी विरोधियों की खुशी का ठिकाना नहीं है। ये खुशी नाहक है भी नहीं, आखिर मोदी को प्रधानमंत्री बनाने वाला हिंदू समाज अब अगड़े-पिछड़े, सवर्ण-दलित में फिर से बंट जो चुका है। यकीन नहीं आए तो भारत बंद के खिलाफ सोशल मीडिया में सवर्ण बंधुओं की ओर से चलाए गए अभियान की भाषा शैली को एक बार फिर पढ़ लीजिए। हिंदू ही हिंदू को गरिया रहा था। गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश जैसे आतिशबाजों के जरिए सुलगाई गई चिंगारी अब भभक चुकी है। मोदी विरोधियों को बस उसे लोकसभा चुनाव तक इसी तरह हवा देते रहना है। रास्ता क्लीयर है…।

 

साभार –

वरिष्ट पत्रकार सौरभ तिवारी की फेसबुक वॉल से…

 

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