सिंगल मदर का पहला बच्चा था, इसलिए जिम्मेदार था: शाहिद कपूर

शाहिद कपूर और श्रद्धा कपूर स्टारर 21 सितम्बर को रिलीज़ होने जा रही फिल्म बत्ती गुल मीटर चालू का ट्रेलर दर्शक खूब पसंद कर रहे हैं। फिल्म में शाहिद एक मनमौजी और जिद्दी वकील के किरदार में दिख रहे हैं। हमसे बातचीत में शाहिद ने फिल्म, अपने किरदार और कई और मुद्दों पर बात की।
फिल्म में बहुत आसानी से आप पहाड़ी लहजे में हिंदी बोलते हैं,
किसी खास जगह की कहानी कहने का मजा तभी है, जब वह उन्हीं के अंदाज में कही जाए। ज्यादातर फिल्मों में सिर्फ नाम के लिए ऐसा किया जाता है, लेकिन मेरी कोशिश होती है कि डायलॉग नैचरल लगें। मैंने इससे पहले उड़ता पंजाब में पंजाबी बोलने के लिए भी काफी मेहनत की थी और बत्ती गुल मीटर चालू में भी मैंने कुमाउनी लहजे में डायलॉग बोलने के लिए मेहनत की है। हालांकि हमने सिर्फ लहजा उठाया है और कुछ शब्द लिए हैं, जिससे सभी हिंदी जानने वाले को फिल्म आसानी से समझ आ जाए।
किरदार के बारे में.
फिल्म में मेरा किरदार एक जिद्दी वकील का है जो मस्तमौला है। इस फिल्म में मेरे पास करने को बहुत कुछ था। मेरा किरदार हमेशा बोलते रहने वाले एक शख्स का है, जो लोगों को परेशान करता है। जहां भी जाता है कोई बवाल कर देता है, लेकिन उसे एक मिशन मिल जाता है और फिर वह उसके पीछे लग जाता है।
फिल्म का प्लॉट बिजली के बिल के आस-पास घूमता है
जब तक मैंने टॉइलह्ल: एक प्रेम कथा फिल्म नहीं देखी थी, तब तक मुझे देश की इस समस्या के बारे में इतनी गहराई से नहीं पता था। इसके पहले मैंने फिल्म उड़ता पंजाब की जो ड्रग्स की समस्या पर आधारित थी, हैदर की थी जो मानवाधिकारों पर आधारित थी। इन फिल्मों से बहुत कुछ मैंने सीखा और जब मैंने इस फिल्म की स्क्रिप्ट पढ़ी तो मुझे एहसास हुआ कि बिजली के निजीकरण की वजह से बिजली के ना केवल बिल बढ़े हैं, बल्कि और भी कई समस्याएं पैदा हो गई हैं।
हम लोग अभी बिजली बचाने को लेकर भी इतने सजग नहीं हैं
इससे फर्क नहीं पड़ता कि बिजली कहां और कितनी पैदा हो रही है। ज्यादातर बिजली मेट्रो शहर में सप्लाई की जाती है, इसके अलावा हम लोग अभी बिजली बचाने को लेकर भी इतने सजग नहीं हैं। फिल्म का एक डायलॉग है कि, अगर दिल्ली के सारे शोरूम और मॉल एक रात के लिए बिजली का इस्तेमाल ना करें तो उत्तराखंड के 36 गावों को एक हफ्ते के लिए बिजली मिल जाएगी इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि किस कदर बिजली बर्बाद होती है और जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंचती।
क्या आपको लगता है कि आपकी यह फि़ल्म कोई बदलाव लाएगी?
हमारा काम है अपनी कहानी के जरिए मुद्दा उठाना, उसके बाद का काम मीडिया और सरकार का है। अगर बात होगी और लोगों तक पहुंचेगी तो बदलाव जरूर आएगा। यूं तो यह फिल्म काल्पनिक है, लेकिन इसकी कहानी कई लोगों की सच्ची कहानियों को लेकर बनाई गई है।
मैंने ऐसी फिल्में की हैं, जिनको बहुत बड़े तरीके से घोषित किया गया था, लेकिन वह फिल्में असफल हो गई थीं
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फिल्म इंडस्ट्री में कोई बड़ा-छोटा नहीं होता है, यह एक माइंड सेट है और कुछ नहीं और बहुत ही अस्थाई चीज है। सबसे बड़ी चीज है आपका काम जो कैसा है और जनता तक कैसे पहुंच पाएगा। मैंने बड़ी सारी ऐसी फिल्में की हैं, जिनको बहुत बड़े तरीके से घोषित किया गया था, लेकिन वह फिल्में असफल हो गई थीं और कई ऐसी फिल्में भी की हैं जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते थे, लेकिन वह फिल्में बहुत हिट रही हैं और सबसे ज्यादा उन्हीं फिल्मों को प्यार भी मिला। अब जब वी मेट के दौरान इम्तियाज को कौन जानता था।
बचपन से ही खुद को जिम्मेदार समझने लगा था
अपने शुरुआती दिनों में, मैं सोच-विचार और ख्याल के मामले में, अपनी उम्र से ज्यादा बड़ा रहा हूं। बहुत बार मुझे लगता था कि एक उम्रदराज आदमी किसी नौजवान के शरीर में है। इस वजह से मुझे कोई गंभीरता से नहीं लेता था। अब जाकर मैं अपने सही उम्र की तरह की सोच रखता हूं। मुझे लगता है मैं ऐसा इसलिए था क्योंकि मैं एक सिंगल मदर का पहला बच्चा था, बचपन से ही खुद को जिम्मेदार समझने लगा था।आपके निर्देशक श्री नारायण सिंह ने अक्षय के साथ लगातार दो फिल्मों में काम किया है, शायद इसलिए आपकी तुलना अक्षय से भी की जा रही है?
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अक्षय कुमार के साथ मेरी तुलना न करें, वह मुझसे सीनियर हैं और बहुत सी फिल्मों में काम कर चुके हैं, ठीक इसी तरह दो-तीन फिल्म पुराने किसी आज के नए ऐक्टर की तुलना भी मुझसे न करें। हर इंसान की अपनी एक जगह होती है फिर भी लोग तुलना करते हैं, जो सही नहीं है।
मजबूत कॉन्टेंट और अच्छे किरदारों को बहुत ही सूझ-बूझ के साथ चुनना होगा
आज के जमाने में जो ऐक्टर यह समझता है कि कॉन्टेंट किंग नहीं है, वह आज के जमाने के हिसाब से ठीक नहीं सोचता है। आज हर ऐक्टर को अच्छी तरह समझ लेना होगा कि एक फिल्म की कहानी और उसका कॉन्टेंट ही सब कुछ है। कोई तीन घंटे सिर्फ आपका चेहरा नहीं देखना चाहता। यह बात अलग है कि आपके स्टारडम की वजह से फिल्म ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचेगी, लेकिन हमें फिल्म वही करनी चाहिए, जो लोग देखना चाहते हैं। आपको अच्छी कहानी, मजबूत कॉन्टेंट और अच्छे किरदारों को बहुत ही सूझ-बूझ के साथ चुनना होगा।
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