
जगदलपुर : बस्तर की जीवन रेखा कही जाने वाली इंद्रावती नदी पर व्याप्त संकट का अभी तक कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकल सका है और न ही जल बंटवारे को लेकर 1972 में किये गये तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार द्वारा ओडिशा के साथ किये गये समझौते को समय के अनुसार संशोधित भी नहीं किया जा सका है। आज भी साल में 45 टीएमसी पानी छत्तीसगढ़ को मिलना चाहिए, लेकिन गर्मी के दिनों में वह भी नहीं मिल पा रहा है।
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उल्लेखनीय है कि गर्मी के मौसम में प्रदेश के जल संसाधन विभाग ने 15 टीएमसी अतिरिक्त पानी देने के लिए ओडि़शा से मांग की थी, लेकिन ओडि़शा से इस संबंध में सहमति प्राप्त नहीं हो सकी है और मामला अभी भी वहीं लंबित है। इस संंबंध में यह विशेष तथ्य है कि पिछले दिनों ओडिशा से आए चीफ इंजीनियर लंबोधर प्रधान ने यहां पहुंचकर इंद्रावती के जलस्तर का मापन तो किया लेकिन अभी तक इस पर कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिल सका है।
इस संबंध में जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता शेख शाकिर ने बताया कि पिछली बार साल 2012 में इंद्रावती में पानी के बहाव की जानकारी ओडिशा ने ली थी। इसके बाद कोई भी जानकारी लेने न तो अफसर आए और न ही किसी दूसरे माध्यम से इसकी जानकारी जुटाई गई। अब जब सीडब्ल्यूसी का दबाव पड़ा, तब ओडि़शा से उन्होंने यहां आकर जल बहाव की स्थिति जानी है।
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