
छत्तीगढ़ में फिलहाल सबकुछ शांत नजर आ रहा है. लेकिन हो सकता है, ये किसी तूफान के पहले की शांति हो, हाल ही में तेज हवाओं ने अपना रंग दिखाया था. और छत्तीसगढ़ में कांग्रेसी कार्यकर्ता आपस में ही लाते-घूंसे चलाते हुए नजर आए थे. खैर फिलहाल कुछ कुछ दिनों से कांग्रेसी अपना बाहूबल तो नहीं दिखा रहे हैं. लेकिन दीवाली जाने के बाद फिर बदलाव की सुगबुगाहट शुरू हो सकती है.
ये सुगबुगाहट इसलिये भी हो सकती है. क्योंकि कांग्रेस के दोनो ही धड़ों से समझौता करने की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है. न तो टीएस सिंहदेव ये कह रहे हैं, कि भूपेश बघेल पूरे पांच साल मुख्यमंत्री रहेंगे. और न ही भूपेश बघेल ये कर रहे हैं, कि 5 साल मैं ही मुख्यमंत्री रहूंगा. बल्कि ये दोनों ही नेता आलाकमान के आदेश का पालन करने की बात कह रहे हैं.
मतलब साफ है, जब तक आला कमान सार्वजनिक रूप से कोई साफ संदेश नहीं देगा, तबतक ये सुगबुगाहट ऐसी ही चलती रहेगी. और छत्तीसगढ़ के लोग भी बेचेन रहेंगे, कि उनका अगला मुख्यमंत्री कौन बनने वाला है. या फिर दाऊ ही उनके सीएम रहंगे. जाहिर है चर्चाओं का दौर जारी रहेगा. आपको बता दें कि पिछले दिनों कुछ मीडिया चैनलों में सीएम को बदलने की खबरें खासतौर पर चलाई गईं थीं. इन खबरों में ये भी कहा जा रहा था, कि सोनिया गांधी ने तो साफतौर पर भूपेश बघेल को पद छोड़ने का आदेश दे दिया है. लेकिन दाऊ अड़ गए हैं.
साथ ही ये भी कहा जा रहा था, कि भूपेश बघेल ने दीवाली तक का वक्त आलाकमान से मांगा था. अब दीवाली भी आकर, चली गई है. देखना ये होगा कि छत्तीसगढ़ का CM बदलता है, या फिर कांग्रेस में ऐसे ही अंदरूनी गुटबाजी चलती रहेगी, क्योंकि बाबा और दाऊ के बीच की इस लड़ाई में नुकसान कांग्रेस को ही हो रहा है. आम कार्यकर्ता की दिमाग असमंजस में है. कि उनका सीएम बदलेगा या नहीं बदलेगा. खैर इंतजार करिये, हो सकता है कि दीवाली के पटाखों के बाद अब छत्तीसगढ़ की राजनीति में कोई बड़ा धमाका हो जाए. आप भी इस मुद्दे पर अपनी राय कमेंट कर सकते हैं.