बेंगलुरू : नरेंद्र मोदी सरकार की डिफेंस सेक्टर पॉलिसी में निजीकरण के क्रम में, भारत अब अपनी थर्ड जनरेशन के एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) नाग की महत्वपूर्ण तकनीक को निजी उद्योग में स्थानांतरित करने के लिए तैयार है। डिफेंस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) ने नाग और नाग मिसाइल कैरियर (नामिका) की तकनीक को ट्रांसफर करने की शुरुआती प्रक्रिया शुरू कर दी हैं, लेकिन भारत डायनेमिक्स लिमिटेड जैसी पब्लिक सेक्टर यूनिट अभी भी इसकी रेस से बाहर नहीं हुई है।
डीआरडीओ के सीनियर अधिकारी ने बताया कि एजेंसी ने तकनीक को ट्रांसफर करने के डॉक्युमेंट तैयार करने शुरू कर दिए हैं। नाम न छापने की शर्त पर इस अधिकारी ने बताया, विचारों की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, अब इसके बारिकियों पर काम किया जा रहा है।
नाग सभी मौसमों में काम करने वाली ऐंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल है, जिसकी रेंज करीब 4 किलोमीटर तक है, जबकि नामिका में वापस लेने योग्य बख़्तरबंद लॉन्चरों से तैयार है। सेक्टर में पूर्ण मिसाइल प्रणाली बनाने की क्षमता के सवाल पर अधिकारी ने कहा कि भारतीय उद्योग ने अभी तक अपनी पूर्ण क्षमताओं का प्रदर्शन नहीं किया है।
उन्होंने कहा, हमारे पास इसे लेकर कई तरह के प्रस्ताव आए हैं, और हम विभिन्न विकल्पों पर चर्चा कर रहे हैं.सोसायटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) ने तर्क दिया कि उद्योग मिसाइलों को सफलतापूर्वक तैयार करने में सक्षम होगा, क्योंकि रक्षा मंत्रालय इसे लेकर प्रतिबद्ध है। बाबा कल्याणी ग्रुप, महिंद्रा, रिलायंस और एल ऐंड टी जैसी कंपनियों ने मंत्रालय को एक्सपेंशन ऑफ इंटरेस्ट और अर्जुन टैंक के लिए रिच्सट ऑफ इन्फॉर्मेशन को लेकर प्रस्ताव भेजा है। हालांकि इस दिश में अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
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