
रायपुर : छत्तीसगढ़ विधानसभा के पावस सत्र के चौथे दिन आज कांग्रेस सदस्यों ने गरियाबंद जिले के ग्राम सूपेबेड़ा में किडनी से लगातार हो रही मौतों के संबंध में स्थगन प्रस्ताव लाया और इस पर चर्चा कराने की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष ने स्थगन प्रस्ताव को पढऩे के बाद सरकार की ओर से वक्तव्य आने की बात कही। इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर ने वक्तव्य दिया।
उन्होंने कहा कि यह कथन सत्य नहीं है कि गरियाबंद जिले के विकासखंड देवभोग अंतर्गत गा्रम सुपेबेड़ा में किडनी रोग के कारण मौत हो रही है। वस्तुस्थिति यह है कि सुपेबेड़ा में ग्रामवासियों के रक्त में यूरिया एवं क्रिएटेनीन की मात्रा अधिक मिल रही है और यह चिंता का विषय है। छग शासन इसके ठोस कारण पता करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।
दिनांक 30 जून को बीमार 54 वर्षीय तपेश्वर नागेश ने दम तोड दिया किंतु उसकी मृत्यु का कारण किडनी रोग है इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। गांव में फैली दहशत /भ्रांति को भी दूर करने के लिए प्रचार-प्रसार स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से कर गांव वालों को जागरूक भी किया जा रहा है।
गांव के कुछ नलकूपों के पानी में फ्लोराइस की मात्रा निर्धारित मापदंड से अधिक पाई गई है जिसके लिए विभाग द्वारा आवश्यक हस्तक्षेप किया जा रहा है। फ्लोराइड जांच के लिए जिला अस्पताल में लैब की स्थापना की जा चुकी है तथा सर्वे प्रचार प्रसार एवं स्वास्थ्य शिक्षा के लिए आवश्यक धनराशि भी दी जा चुकी है। गरियाबंद जिले में दंत चिकित्सक की पदस्थापना की गई है जो लगातार मरीजों के दांतों के परीक्षण एवं उपचार किए जा रहे है।
साथ ही साथ यदि कोई टेड़े-मेढ़े विकृतिधारी मरीज पाए जाते हैं और वे इलाज कराने की सहमति देते है तो चिरायु योजना तथा चिकित्सा महाविद्यालय के विशेषज्ञ के माध्यम से उनके इलाज के लिए समुचित व्यवस्था की गई है।
यह कथन सघ्त्य नहीं है कि गरियाबंद जिले के देवभोग विकासखंड के सुपेबेड़ा गांव में शासन इलाज की समुचित व्यवस्था नहीं कर पा रही है।
वस्तु स्थिति यह है कि शासन द्वारा गरियाबंद जिले के सुपेबेड़ा ग्राम एवं उसके आसपास के क्षेत्रों के दिनांक 22 मई 2017 से दिनांक 11 जुलाई 2017 तक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन कर क्षेत्र के 2400 मरीजों का परीक्षण किया गया है। 2106 मरीजों के ब्लड सेंपल का परीक्षण कराया गया जिसमें 239 मरीजों में यूरिया एवं क्रिएटनिन की मात्रा अधिक पाई गई है। जिसमें 15 मरीजों को मेडिकल कालेज रायपुर रिफर किया गया किंतु 13 मरीजों ने उपचार कराने की सहमति नहीं दी।
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इसका उपचार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देवभोग में ही किया गया। इसके अतिरिक्त एक मरीज बुरला मेडिकल कॉलेज संबलपुर दो मरीज भवानीपट्टनम तथा दो मरीज धरमगढ इलाज के लिए स्वयं होकर गए। इसके साथ ही दिनांक 12 जुलाई 2017 तक दिनांक 12 जून 2017 से 15 जून 2017 तक विशाल स्वास्थ्य शिविर लगाया गया जिसमें मेडिकल कॉलेज के नेफ्रोलॉजी विभाग एवं पीएसएम विषय के विभागाध्यक्ष द्वारा प्रभावित ग्राम का दौरा किया गया।
यह भी सही नहीं है कि राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग अभी तक इसका कारण पता करने में नाकाम रही है। वस्तुस्थिति यह है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम के द्वारा सुपेबेड़ा के आसपास में गांव से जल एवं मिट्टी का सेंपल एकत्रित किए। इसके साथ ही रोग के कारण लगातार उपचार किया जा रहा है। चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर के विशेषज्ञों के दल द्वारा वृहत श्यिाविर का आयोजन कर मरीजों की जांच एवं उपचार किया गया।
निजी प्रमाणिकता प्राप्त चिकित्सालय से दो बार क्षेत्र में स्वास्थ्य केंप में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। मेडिकल कालेज के पीएसएव विभाग रायपुर आईसीएमआर मेडिकल रिसर्च संस्था एनसीडीसी (नेशनल सेंटर फॉर डिसीस कंट्रोल) जैसी संस्थाओं के विशेषज्ञों द्वारा क्षेत्र में बीमारी के कारण का पता लगाने के लिए निरीक्षण किया गया तथा उनके द्वारा संभावित कारक बताए गए किंतु कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकलने की वजह से पुन: विस्तृत जांच की आवश्यकता भी बताई।
इस क्षेत्र में हो रही समस्या का ठोस कारण ज्ञात करने के लिए मेरे द्वारा माननीय स्वास्थ्य मंत्री भारत सरकार को पुन: देश के आईसयीएमआर जैसी उत्कृष्ट संंस्था से विस्तृत जांच करने के लिए अनुरोध किया गया। संजीवनी कोष के माध्यम से 19 लोगों का ईलाज प्रदेश के बड़ेे चिकित्सालयों ने कराया गया है। सरकार द्वारा सुपेबेड़ा क्षेत्र में स्वास्थ्य शिविर लगाकर लोगों में व्याप्त बीमारी का निदान तथा उपचार किया है। जिला अस्पताल गरियाबंद के लिए डालिसिस यूनिट स्वीकृति कर दी गई है। जिसकी स्थापना की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।
यह कहना सही नहीं है कि स्वच्छ पेयजल भी उपलब्ध नहीं है। वस्तु स्थिति यह है कि ग्राम सुपेबेड़ा के 16 बोरवेल में से जो जल स्त्रोत दूषित थे को बंद कराया गया। वस्तुस्थिति यह है कि शासन द्वारा क्षेत्र के लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए पीएचई द्वारा निष्ठीगुड़ा खार में दो नवीन बोर कर स्वच्छ पेयजल सप्लाई किए जा रहे है साथ ही प्लाटिक टैंक में नल लगाए गए। जिस बोर का पानी उपयोग किया जा रहा है वहां सप्ताहिक क्लोरिनेशन किया जा रहा है।
सुपेबेड़ा ग्राम के लिए 2 किमी की दूरी में संचालित उपस्वास्थ्य केंद्र निष्ठीगुडा को हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर विकसित किए जाने के लिए शासन से आदेश जारी किया गया है। राज्य के चिकित्सा महाविद्यालय एवं मान्यता प्राप्त निजी संस्थाओं के माध्यम से निरंतर बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा रही है।
स्वास्थ्य मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि किडनी से वहां मौतें नहीं हुई है। बल्कि पानी में यूरिया की मात्रा ज्यादा होने से मौतें हुई है। चिकित्सा की वहां समुचित व्यवस्था की गई है। मंत्री की ओर से वक्तव्य आने के बाद अध्यक्ष ने स्थगन प्रस्ताव को अग्राह्य कर दिया। जिस पर असंतुष्ठ कांग्रेस सदस्य नारेबाजी करते हुए गर्भगृह में चले गए और स्वयं निलंबित हो गए। अध्यक्ष ने सदस्यों की निलंबन की घोषणा करते हुए उन्हें बाहर जाने को कहा। तत्पश्चात थोड़ी देर बात निलंबन समाप्त कर दिया गया।
कांग्रेस सदस्यों ने स्थगन प्रस्ताव में कहा कि सूपेबेड़ा में दूषित पानी पीने केकारण लोग लगातार किडनी की बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार मरने वालों की संख्या 65 बताई जा रही है। जबकि गांव के सरपंच ने मरने वालों की संख्या लिखित में 106 बताई है।
भूपेश बघेल ने कहा कि सरपंच के साथ ही गांव वालों के हवाले से मरने वालों की संख्या 160 से 170 बताई गई है। इसके बावजूद सरकार वहां स्वस्थ्य पेयजल की व्यवस्था करने में असफल रही है। वहां के लोग अपने इलाज के लिए जमीन मकान तक बेचने को मजबूर है। जो बीमार है उनका इलाज दूरस्त देवभोग एवं गरियाबंद के अस्पतालों में हो रहा है जहां पूर्ण चिकित्सा व्यवस्था का अभाव है।