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नईदिल्ली : धर्म के आधार पर किसी के खिलाफ राय बनाना भारतीय संविधान के विरुद्ध

नई दिल्ली : धर्म के आधार पर किसी व्यक्ति के बारे में राय बनाना भारतीय संविधान के खिलाफ है। भारत सरकार द्वारा भारतीय मूल के कनाडा के नागरिक को उनका पक्ष रखने का मौका दिए बगैर उन्हें ब्लैकलिस्ट करने का फैसला गलत है। सिर्फ वीजा नियमों के उल्लंघन के आधार पर तबतक किसी को देश में प्रवेश करने से नहीं रोका जा सकता है, जबतक कि उसके खिलाफ ऐसा मामला सामने न आया हो, जो देश के विरुद्ध हो। यह सख्त टिप्पणी भारत में प्रवेश से ब्लैकलिस्ट किए जाने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने की।

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उन्होंने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि याची के मामले में लिए गए फैसले पर आठ सप्ताह के अंदर पुनर्विचार किया जाए। यही नहीं कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र याची के भारत में रह रहे परिवार व उनके आपराधिक रिकॉर्ड की जांच कर फैसला ले। याचिका के अनुसार, भारत में पले-बढ़े याचिकाकर्ता मोहम्मद अब्दुल मोईद 1997 में कनाडा चले गए थे और 2001 में कनाडा की नागरिकता ले ली थी। मोईद ओवरसीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया के कार्ड होल्डर भी हैं। उनकी दो पत्नियां हैं।

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भारत में रह रहीं उनकी पहली पत्नी से उनको दो बेटे व दो बेटियां हैं, जबकि कनाडा में उनके साथ रह रही उनकी दूसरी पत्नी रईस फातिमा से उनके तीन बच्चे हैं। मोईद का एक बेटा दिव्यांग है और बेटे की तबीयत खराब होने के कारण वह 28 दिसंबर 2015 को राजीव गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, हैदराबाद पहुंचे तो उन्हें इमिग्रेशन विभाग ने रोक लिया और उन्हें बताया कि भारत सरकार ने उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया है। ऐसे में उन्हें वापस कनाडा जाना होगा। याची ने ब्लैकलिस्ट किए जाने के बारे में भारत में रह रहे परिचित एके नजीर के माध्यम से जानने की कोशिश की।

रईस फातिमा से उनके तीन बच्चे हैं

इधर केन्द्र सरकार ने अदालत में हलफनामा दाखिल कर कहा कि हरियाणा के नूंह के एसपी ने वीजा उल्लंघन के संबंध में रिपोर्ट भेजी थी, जिसमें कहा गया था कि याची भारत में पर्यटन वीजा पर आया है और यहां पर वह मस्जिद में स्थानीय मुस्लिम लोगों में तबलीग-ए-जमात विचारधारा को प्रचारित कर रहा है। नूह के पुलिस अधीक्षक के अनुरोध पर वीजा उल्लंघन के तहत याची का वीजा ग्रेड बी से ग्रेड सी करते हुए उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था। हलफनामें में यह भी कहा गया है कि 20 नवंबर 2015 को भी याची को इमिग्रेशन विभाग ने रोका था। उन दिनों याची कनाडा के टोरंटो जा रहे थे इसलिए उन्हें हिरासत में नहीं लिया गया।

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याची की वकील ने केन्द्र सरकार के हलफनामे पर अपनी टिप्पणी देते हुए कहा कि याची का परिवार भारत में रहता है। संविधान के तहत उन्हें भारत आने से नहीं रोका जा सकता। तबलीग-ए-जमात सुन्नी इस्लाम संगठन है। यह मुस्लिमों को मूल इस्लामिक पद्धतियों की तरफ लौटने को कहता है। इसमें धार्मिक गतिविधियों के साथ ही वेशभूषा व दैनिक गतिविधियां तक शामिल है। इसे वर्ष 1927 को मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने भारत में शुरू किया था। इसपर कट्टरपंथ फैलाने के आरोप लगते रहे हैं। इस कारण कई देशों में इसे प्रतिबंधित किया गया है। हालांकि यह संगठन भारत में प्रतिबंधित नहीं है इसलिए इसके नुमाइंदों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो सकती है।

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