
जगदलपुर : किसानों को लाभ प्रदान करने और स्थानीय जलवायु को काजू की खेती योग्य पाए जाने पर पिछले वर्षों में काजू का रोपण बस्तर में किया गया है और काजू की उपज प्राप्त कर किसान तथा ग्रामीण अपने लिए अतिरिक्त आय भी प्राप्त कर रहे हैं, लेकिन इस वर्ष लगे हुए वृक्षों के काजू में मौसम का प्रकोप सामने आया है और इन काजू की फसल पर कीड़ों ने अपना घर जमा लिया है। इसके चलते फसल पर भी इसका प्रभाव देखा जा रहा है।
काजू की फसल पर कीड़ों ने अपना घर जमा लिया है
उल्लेखनीय है कि बस्तर में काजू के उत्पादन के लिए पिछले वर्षों में काफी प्रयास किये गए और बड़ी मात्रा में काजू फसल भी प्राप्त हो रही है। लेकिन इस वर्ष काजू की फसल पर कीड़ों के प्रकोप के चलते स्थानीय शहीद गुण्डाधूर कृषि महाविद्यालय और अनुसंधान केन्द्र में अपने यहां के कृषि वैज्ञानिकों के एक दल को बस्तर जिले के अंतर्गत आने वाले विभिन्न ग्रामों में काजू की फसल का निरीक्षण करने के बाद कहा कि वर्तमान में काजू के वृक्षों में अभी फल आ रहे हैं।
काजू के उत्पादन के लिए पिछले वर्षों में काफी प्रयास किये गए
मौसम में बदलाव के कारण इन काजू के अविकसित फलों में इनको नुकसान पहुंचाने वाले काजू एप्पल एवं नट बोरर का प्रकोप हो रहा है। इस समय यह कीड़ा इल्ली की अवस्था में है और इस कीड़ें की इल्ली ही सर्वाधिक नुकसान पहुंचाती है। इससे काजू के फल संक्रमित होकर अपनी परिपक्वता के पहले ही भूसा होकर नष्ट हो जाती है।
यह कीड़ा इल्ली की अवस्था में है
इस संबंध में वैज्ञानिकों को सलाह दी है कि काजू के फसल को बचाने के लिए काजू का वृक्षों का सतत निरीक्षण करें और यदि किसी फल पर कीड़े का प्रकोप दिखता है तो ऐसे फलों को तोडक़र जमीन के भीतर गहराई में दबाकर नष्ट कर देंवे। इसके अलावा कीटनाशक लैम्डा साईहलेाथ्रीन का प्रयोग प्रात: काल अथवा शाम के समय छिडक़ाव करें एवं छिडक़ाव करते समय मुंह एवं नाक को अच्छी तरह ढंककर सावधानी पूर्वक छिडक़ाव करें।