छत्तीसगढ़

चुनाव का पहला चरण रहता है कांग्रेस के नाम, लेकिन इस बार शायद ऐसा नहीं होने वाला

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी है। पहली बार पाटियों को आचार संहिता लगने और पहले चरण के मतदान के बीच सबसे कम 28 दिनों का वक्त मिला है । हालांकि, साल 2008 को छोड़ दें तो परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई सीटों का अध्ययन करने से पता चलता है कि पहले चरण के चुनाव में कांग्रेस हमेशा फायदे में रही है ।

लेकिन इस बार शायद ऐसा नहीं होने वाला है, इसकी वजह भी हम आपको बताएंगे, ह 2008 में आचार संहिता लागू होने और पहले चरण के मतदान के बीच का अंतराल 39 दिन का रहा और नतीजे भाजपा के पक्ष में रहे । भाजपा ने पहले चरण की 20 में से 16 सीटों को जीतने में सफल रही। इससे बाद साल 2013 में कांग्रेस को 12 और भाजपा को 8 सीटें मिली थीं । पहले चरण में होने वाले चुनाव की 20 सीटें संवेदनशील मानी जाती है ।

वहीं बात अगर पिछले चुनाव की करें तो, कांग्रेस ने सर्वाधिक बढ़त लेते हुए भाजपा को एक सीट पर समेट दिया । यानि 19 सीटें कांग्रेस ने अपने नाम की थीं । हालांकि पिछली बार सत्ता विरोधी लहर का फायदा कांग्रेस को मिला था, लेकिन अब मुकाबला दिलचस्प होने जा रहा है, जिसमें ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है, यानि कांग्रेस के लिए भी राह इस बार आसान नहीं है । वैसे पहले चरण में जिन बीस सीटों पर चुनाव होने हें उसमें से कितनी सीटे इस बार कांग्रेस के खाते में आएंगी, आप इस बारे में क्या सोचते हैं अपनी राय भी जरूर कमेंट करें ।

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