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रायपुर : राज्य में शिक्षा के अधिकार कानून का कड़ाई से पालन जारी-शिक्षामंत्री

रायपुर : विधानसभा में आज शिक्षा के अधिकार के तहत निजी स्कूल प्रबंधन द्वारा बीपीएल बच्चों को प्रवेश नहीं दिए जाने एवं निजी स्कूलों द्वारा शासकीय नियमों का उल्लंघन किए जाने का मामला उठा। सत्ता पक्ष की ओर से सदस्य देवजी भाई पटेल ने यह मामला उठाते हुए कहा कि 26 जून 2018 की स्थिति में स्कूल शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते निजी स्कूल प्रबंधन बेलगाम हो गया है। वहीं शासकीय स्कूलों ने शासन के नियम कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है।

 बीपीएल बच्चों को प्रवेश नहीं

राज्य शासन ने शैक्षणिक सत्र 2018 के शैक्षणिक कैलेण्डर में 15 जून से स्कूल खोलने का निर्देश जारी किया मगर नामी गिरामी अंग्र्रेजी माध्यम के स्कूलों सहित सभी निजी स्कूल 01 माह पूर्व ही मई 2018 में खुल गये। जहां एक ओर स्कूलों द्वारा 12 महीने की शुल्क वसूली की जा रही है। वहीं हर क्लास में प्रत्येक बच्चे से प्रवेश शुल्क के नाम पर 10 हजार रूपए से 35 हजार तक की फीस वसूल कर रहे है। शिक्षा के अधिकार कानून (आर.टी.आई) की धज्जियां उड़ाई जा रही है।

शुल्क वसूली की जा रही है

रायपुर क्षेत्र के 35 स्कूलों ने अल्पसंख्यक वर्ग का छूट का बहाना कर आर.टी.आई के तहत बीपीएल बच्चों को प्रवेश देने से इंकार कर दिया। ना तो इनके पास राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्था आयोग दिल्ली का और ना ही संचालक आदिम जाति विभाग का प्रमाण पत्र है। जिन 35 निजी स्कूलों में शिक्षा विभाग आरटीआई के दायरे से अलग माना है। वहीं अल्पसंख्यक के बच्चो की प्रवेश संख्या नगण्य है।

आर.टी.आई के तहत

विभाग के शीर्षस्थ अधिकारी केवल नोटिस थमाकर मामले को रफा दफा करने में लगे है। राज्य बाल सुधार संरक्षण आयोग के निर्देशों को भी रद्दी की टोकरी में फेंक दिया। यहीं नहीं निजी-शासकीय स्कूली बच्चों से क्रीड़ा शुल्क के नाम पर प्रतिवर्ष 08 से 10 करोड़ रूपए की वसूली की जा रही है। शासन ने इस सत्र में 200 मिडिल, हाईस्कूलों का उन्नयन किया है मगर आज तक संबंधित स्कूलों को सूचना दी गई है ना ही आवश्यक शैक्षिक स्टॉफ उपलब्ध कराया गया है।

टोकरी में फेंक दिया

शासन के नियम निर्देश का पालन नहीं होने से प्रदेश की आम जनता में शासन प्रशासन के प्रति रोष एवं आक्रोश व्याप्त है।
इसके जवाब में स्कूली शिक्षामंत्री केदार कश्यप ने कहा कि यह सही नहीं है कि जून 2018 की स्थिति में स्कूल शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते निजी स्कूल प्रबंधन बेलगाम हो गया है। यह सही नहीं है कि विभाग द्वारा प्रदेश के समस्त विद्यालयों में शैक्षिक क्रियाकलापों का संचालन शैक्षिक समय-सारिणी के अनुसार किया जा रहा है । शासकीय एवं अशासकीय विद्यालयों में सत्र 2018-19 के लिए शिक्षण कार्य 18 जून 2018 से प्रारंभ है।

स्कूल प्रबंधन बेलगाम हो गया है

स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा मध्यान्ह भोजन का क्रियान्वयन एवं ग्रीष्मावकाश में समर कोर्सेस हेतु कार्यवाही की गई है। जिससे छात्रों में शैक्षिकेत्तर गतिविधियों के अंतर्गत उनका सर्वागींण विकास हो सके। शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के पूर्व शाला खोलने संबंधी किसी प्रकार की शिकायत प्राप्त नहीं है। राज्य में शिक्षा के अधिकार कानून का कड़ाई से पालन किया जा रहा है। अशासकीय निजी विद्यालय जो अल्पसंख्यक प्रबंधन द्वारा संचालित है। उन्हेकं संविधान की धारा-29 एवं 30 अंतर्गत आरटीआई एक्ट के क्रियान्वयन से छूट प्राप्त है। अत: यह कहना कि अल्पसंख्यक प्रबंधन द्वारा संचालित शालाओं के द्वारा आरटीआई की धज्जियों उड़ाई जा रही है सही नहीं है।

शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने के पूर्व

स्कूल मंत्री ने कहा कि प्रदेश की अल्पसंख्यक प्रबंधन द्वारा संचालित संस्थाओं को संवैधानिक रूप से शासन के निर्देश के क्रम में छूट की पात्रता है एवं उन संस्थाओं के पास अल्पसंख्यक प्रबंधन से संचालित संस्था होने का प्रमाण-पत्र भी उपलब्ध है। निजी अशाासकीय शैक्षणिक संस्थाओं को आरटीआई एक्ट के प्रावधान के अनुसार अधिसूचित फीस लेने का अधिकार है। फीस की अधिसूचना की प्रक्रिया मेेंं संस्थाओं में जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा प्राधिकृत अधिकारी उपस्थित रहते है एवं इस अधिसूचित फीस को सर्व संबंधितों के लिए सार्वजनिक किया जाता है।

अधिसूचित फीस लेने का अधिकार

राज्य बाल सुधार संरक्षण आयोग द्वारा समय-समय पर दिए गए निर्देशों का पालन सुनिश्चित किया गया है। माह के द्वितीय मंगलवार को राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा जिलों के शिक्षा अधिकारियों के साथ विडियो कांफ्रेसिंग की भी व्यवस्था की गई है।उन्होंने कहा कि प्रदेश के शासकीय एवं अशासकीय विद्यालयों में शासन द्वारा हाईस्कूल में 50 रूपए एवं हायर सेकेण्डरी में 65 रूपए प्रतिवर्ष की दर से क्रीड़ा शुल्क ली जा रही है एवं उक्त शुल्क का नियमानुसार खेलकुद संबंधी गतिविधियों पर ही व्यय किया जा रहा है।

अशासकीय विद्यालयों में शासन

छत्तीसगढ़ शासन स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा इस सत्र में 127 हाईस्कूलों को हायर सेकेण्डरी एवं 53 पूर्व माध्यमिक शालाओं को हाईस्कूल में उन्नयन का आदेश जारी किया जा चुका है। 74 पूर्व माध्यमिक शाला से हाईस्कूल में उन्नयन हेतु आदेश संबंधी कार्यवाही प्रचलन में है। आदेश की प्रति जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालयों को आवश्यक कार्यवाही हेतु प्रेषित की जा चुकी है। अत: यह कहना है कि शासन के नियम निर्देश के पालन न होने से आम जनता में शासन प्रशासन के प्रति रोष एवं आक्रोश व्याप्त है सही नहीं है।

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