
रायपुर, कॉलोनियों को बसाने और भरपूर पैसा बनाने के बाद बिल्डर जहां कॉलोनी और कॉलोनीवासियों को अपने हाल पर छोड़ देते हैं, वहीं कुछ रहवासी भी मौके पर चौका मारने की कोशिशों में लगे रहते हैं । जबकि पंजीयक कार्यालय इन मामलों में धृतराष्ट्र की भूमिका में नजर आता है ।
कहां का है ये पूरा मामला ?
ये मामला है रायपुर शहर की सोसाइटी कैपिटल होम्स फेज-1 का, जहां बिल्डर कॉलोनी को हैंडोवर करने की बात कहते हैं, तो वहीं कॉलोनी के कुछ रहवासी लगातार सोसाइटी के ग्रुप में अपना रसूख बनाए रखने के लिए भ्रम की स्थिति बनाए रखते हैं । ताकि कॉलोनीवासियों को भ्रमित किया जाए और उन्हें डरा धमकाकर अपना रसूख कायम रखा जाए ।
पूर्व पदाधिकारी ने दबा दिए पैसे !
दरअसल हुआ कुछ यूं कि पिछले दिनों कैपिटल होम्स – 1 के कथित ठेकेदार और सोसाइटी के पूर्व पदाधिकारी, सोसाइटी की बदहाली की बात करते और डराते हुए मेंनटनेंस इकट्ठा करने निकले थे, घर-घर जाकर इन्होने मेनटनेंस इक्ट्ठा भी किया, लेकिन अब इतनी मेहनत की है, तो अपना कमीशन वे भला कैसे छोड़ सकते हैं, लिहाजा ऊगाही किए गए मेनटनेंस में से करीब 67 हजार रुपए पूर्व पदाधिकारी ने अपने जेब में डाल लिए, जबकि नियम के अनुसार कोई वर्तमान पदाधिकारी भी 15 दिन से ज्यादा कॉलोनी के मेनटनेंस की राशी को अपने पास नहीं रख सकता । जबकि ये तो अपने पद से पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं ।
चुनाव के चंद महीनों में ही 9 सदस्यों ने दे दिया था इस्तीफा
जिन लोगों पर मेनटनेंस का पैसा दबाने का आरोप लग रहा है, वे पूर्व में पदाधिकारी रह चुके हैं और चुनाव के महज 6 महीने के भीतर ही इस्तीफा देकर इन्होने कार्यकारिणी भंग करा दी थी, साथ ही कॉलोनी को बदहाली की हालत में पहुंचाने के जिम्मेदार बताए जाते हैं ।
सत्ता का सिर पर हाथ ? पंजीयक के भी हाथ बंधे ?
बताया जाता है कि ये पूर्व पदाधिकारी एक हिंदू संगठन से भी जुड़े हुए हैं, सत्ता का हाथ भी इनके ऊपर है, लिहाजा उपपंजीयक नकुल चंद्रवंशी भी शिकायत पर कर्रवाई करने की बजाय स्टॉफ की कमी का रोना रो रहे हैं । उपपंजीयक ने फोर्थ आई न्यूज को बताया कि हम पहले सरकारी पैसे का हिसाब देखते हैं, हमारे पास प्राइवेट कॉलोनियों की जांच के लिए मेन पॉवर की कमी है ।
सोसाइटी की कार्यकारिणी भंग कराई, पर अब भी पद की लालसा ?
आपको बता दें कि जिन लोगों पर मेनटनेंस का पैसा न देने का आरोप लग रहे हैं, ये वही पूर्व पदाधिकारी हैं जो चंद दिन भी सोसाइटी नहीं चला सके और एक साथ 9 सदस्यों ने इस्तीफा देकर कार्यकारिणी को भंग करा दिया था, लेकिन शायद अब भी कहीं न कहीं अपने रसूख को कायम रखने के लिए केंद्र में बने रहने की लालसा रखते हैं । जबकि इनके अपने व्यापारिक हित भी कॉलोनी से जुड़े हैं । खैर अब देखना है कि प्राइवेट सोसाइटी में चल रही इन अनियमिताओं पर उपपंजीयक आगे कोई कार्रवाई करते भी हैं या नहीं ।