
रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर की सेंट्रल जेल से इंसाफ को शर्मसार करने वाली एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। न्यायिक रिमांड पर बंद युवकों के साथ जेल के भीतर बेरहमी से मारपीट का आरोप लगा है – और आरोप किसी आम कैदी पर नहीं, बल्कि जेल के एक शिक्षक पर है।
शुक्रवार शाम जैसे ही तीन युवक – श्याम देशमुख, देवराज पारधी और पुरुषोत्तम तोंडरे – रिहा हुए, उनमें से एक सीधे अस्पताल पहुंचा और फिर थाने। श्याम देशमुख ने आरोप लगाया कि जेल के शिक्षक नेतराम नागतोड़े ने न सिर्फ उन्हें खुद मारा, बल्कि अन्य कैदियों से भी पिटवाया। इतना ही नहीं, उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी गई।
देशमुख के पैरों में गंभीर चोट आई है, जिसे अस्पताल में दर्ज भी किया गया है। पीड़ा और अपमान से आहत होकर पीड़ित युवक का परिवार और कुनबी समाज के सैकड़ों लोग शनिवार सुबह से ही गंज थाने का घेराव कर रहे हैं। उनकी एक ही मांग – मारपीट के दोषी शिक्षक के खिलाफ FIR दर्ज की जाए।
FIR की मांग पर अडिग समाज, पुलिस चुप
समाज के नेताओं का कहना है कि वे कल रात से शिकायत लेकर थाने के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन अब तक FIR दर्ज नहीं की गई है। समाज की महिला सदस्य माधुरी तोंडरे ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हमारे लोग जेल के भीतर मारे जा रहे हैं और पुलिस FIR तक दर्ज नहीं कर रही। अब अगर न्याय नहीं मिला, तो हम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।”
क्या जेलों में बंदियों की सुरक्षा सिर्फ कागज़ों तक सीमित?
यह घटना कई सवाल खड़े करती है – क्या जेल के भीतर बंदियों के अधिकार सुरक्षित हैं? क्या सुधारगृह में सुधार की जगह उत्पीड़न हो रहा है? और अगर जेल के शिक्षक पर ही गंभीर आरोप लगे हैं, तो जांच कितनी निष्पक्ष हो पाएगी?
खबर लिखे जाने तक पीड़ित की शिकायत पर कोई FIR दर्ज नहीं हुई थी, लेकिन कुनबी समाज का कहना है कि अगर न्याय नहीं मिला, तो वे सड़कों से लेकर अदालत तक संघर्ष करेंगे।