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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की आकाशीय ताकत को बढ़ावा, फाइटर जेट्स और 87 हाईटेक ड्रोन्स के लिए 30 हजार करोड़ का बड़ा निवेश

ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत अपनी रक्षा तैयारियों को नई ऊँचाई पर ले जा रहा है। सरकार ने देश की एयरफोर्स की ताकत बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश की योजना बनाई है। हर हफ्ते हजारों करोड़ रुपये के रक्षा प्रोजेक्ट्स को मंजूरी मिल रही है, जिससे देश की आकाशीय सुरक्षा में तेजी आएगी।

हालांकि सबसे बड़ी चुनौती एयरफोर्स के पास फाइटर जेट की कमी है। वर्तमान में सिर्फ 31 स्क्वाड्रन उपलब्ध हैं, जबकि जरूरत 42 स्क्वाड्रन की है। इस कमी को पूरा करने के लिए सरकार कई मोर्चों पर काम कर रही है। वहीं, आसमान में भारत की बादशाहत बनाए रखने के लिए अन्य बड़े रक्षा सौदे भी अंतिम चरण में हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान बौखलाया हुआ है और चीन के साथ मिलकर किसी बड़ी साजिश की आशंका है। ऐसे में भारत को अपनी सुरक्षा तैयारियों में कोई कमी बर्दाश्त नहीं।

फाइटर जेट्स के अलावा, मिसाइलें, एयर डिफेंस सिस्टम, जासूसी जहाज, राडार और ड्रोन भी अब आधुनिक युद्ध में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। इस जरूरत को देखते हुए भारत इन सभी क्षेत्रों में भारी निवेश कर रहा है।

सबसे बड़ा सौदा 87 मेडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (MALE) ड्रोन खरीद का है, जिन्हें ‘बेबी फाइटर जेट’ भी कहा जा सकता है। इस पर लगभग 30,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इन ड्रोन्स की एक यूनिट की कीमत लगभग 350 करोड़ रुपये है।

सरकार ने देसी कंपनियों को भी इस सौदे में भाग लेने के लिए तैयार किया है। विदेशी कंपनियां, जैसे कि इजरायली एल्बिट और अमेरिकी जनरल एटॉमिक्स, भारतीय कंपनियों के साथ साझेदारी में इस डील के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही हैं। सौदे में 50% स्वदेशी कंटेंट अनिवार्य है।

इस 30,000 करोड़ रुपये के डील का लक्ष्य कम से कम दो घरेलू ड्रोन निर्माता तैयार करना है, जिससे भारत आने वाले समय में किसी विदेशी सप्लायर पर निर्भर न रहे।

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