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बांग्लादेश में नया संग्राम! जिस ‘जमात’ ने हसीना को भगाया, अब यूनुस सरकार पर टूटा कहर

बांग्लादेश में हालात फिर से उबाल पर हैं। जिस जमात-ए-इस्लामी ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया था, अब वही संगठन यूनुस सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर आया है।

जमात ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है — अगर उनकी पांच सूत्री मांगें 11 नवंबर तक नहीं मानी गईं, तो ढाका में कोहराम मच जाएगा। यह चेतावनी जमात के महासचिव मिया गुलाम परवार ने आठ प्रमुख इस्लामिक पार्टियों की बैठक के बाद दी।

परवार ने कहा कि उनकी मांगें सरकार के सलाहकारों तक पहुंचा दी गई हैं और अब “समझदारी दिखाने का वक्त सरकार का है।”

जमात की चेतावनी, “ढाका सड़कों पर उबल जाएगा”

ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक, हाल ही में जमात के अमीर डॉ. शफीकुर रहमान ने पाकिस्तान के उपप्रधानमंत्री इशाक डार से मुलाकात कर रिश्तों को मजबूत करने पर बात की थी।
अब जमात का कहना है कि अगर ‘जुलाई नेशनल चार्टर’ लागू नहीं किया गया, तो लाखों लोग 11 नवंबर को सड़कों पर उतरेंगे।

यह चार्टर उन लोगों को ‘जुलाई फाइटर्स’ का दर्जा देता है जिन्होंने शेख हसीना के खिलाफ विद्रोह में भाग लिया था। इसमें अवामी लीग को “फासिस्ट” बताते हुए पुलिस बलों पर हत्या और दमन के आरोप भी लगाए गए हैं।

आठ इस्लामिक पार्टियों का गठबंधन

ढाका के पलटन चौराहे पर गुरुवार सुबह से ही आठ इस्लामिक दलों के हजारों कार्यकर्ता जुटे।
इस गठबंधन में शामिल हैं —
जमात-ए-इस्लामी, इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश, खिलाफत मजलिस, बांग्लादेश खिलाफत मजलिस, खिलाफत आंदोलन, निज़ाम-ए-इस्लाम पार्टी, जातीय लोकतांत्रिक पार्टी और डेवलपमेंट पार्टी।

पुलिस ने बैरिकेड लगाए तो प्रदर्शनकारियों ने वहीं से ज्ञापन सौंपा, जबकि बाकी लोग चौराहे पर डटे रहे।

जमात की 5 बड़ी मांगें

1️⃣ जुलाई नेशनल चार्टर को तुरंत लागू किया जाए।
2️⃣ नवंबर तक उस पर जनमत संग्रह कराया जाए।
3️⃣ अगला चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली से हो।
4️⃣ निष्पक्ष चुनाव के लिए समान अवसर की गारंटी मिले।
5️⃣ अवामी लीग और उससे जुड़े 14-पार्टी गठबंधन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगे।

नतीजा क्या होगा?

अब बांग्लादेश की सियासत एक बार फिर भस्मासुर के दौर में प्रवेश करती दिख रही है।
जिस आग ने हसीना की सत्ता को निगल लिया, वही अब यूनुस सरकार को भी अपनी लपटों में लेने को तैयार है।

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