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विरोधों के बावजूद आज नागरिकता संशोधन कानून लागू,  अधिसूचना जारी

तमामा विरोधों के बावजूद केंद्र सरकार ने संशोधित नागरिकता कानून के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। इसी के साथ संशोधित नागरिकता कानून आज यानी 11 जनवरी से पूरे देश में प्रभावी हो गया है । बता दें कि इस कानून के अनुसार 31 दिसंबर 2014 से पहले तक, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से, जो हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोग भारत आए हैं और जिन्हें अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है, उन्हें गैरकानूनी प्रवासी नहीं माना जाएगा,  बल्कि भारतीय नागरिकता दी जाएगी।

इस कानून के तहत छह समुदायों के शरणार्थियों को पांच साल तक भारत में रहने के बाद, भारत की नागरिकता दी जाएगी। अभी तक यह समयसीमा 11 साल की थी । ये कानून के तहत ऐसे शरणार्थियों को गैर-कानून प्रवासी के रूप में पाए जाने पर लगाए गए मुकदमों से भी माफी दी जाएगी।

हालांकि असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों पर ये कानून लागू नहीं होगा,  क्योंकि ये क्षेत्र संविधान की छठी अनुसूची में शामिल हैं । इसके साथ ही यह कानून बंगाल पूर्वी सीमा विनियमन, 1873 के तहत अधिसूचित इनर लाइन परमिट वाले इलाकों में भी लागू नहीं होगा। आईएलपी अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मिज़ोरम में लागू है ।

क्यों हो रहा है सीएए का विरोध ?

इस संशोधित नागरिकता कानून में प्रावधान है कि भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे सिख, ईसाई, बौद्ध, हिन्दू, पारसी, जिन्हें धर्म के आधार पर प्रताड़ित गया है,  उन्हें नागरिकता दे दी जाएगी. जबकि, इसमें मुसलमानों को बाहर रखा गया है । प्रदर्शनकारी इसी को लेकर ऐतराज कर रहे हैं, कि नागरिकता संशोधन कानून में मुसलमानों को अलग क्यों रखा गया है।

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