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दुकानबंदी से शराबबंदी, इसलिए बंद हुई 50 से ज्यादा दुकानें

रायपुर

विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश की जनता से जो महत्वपूर्ण वादे किए थे उनमें शराबबंदी भी अहम था। सरकार बनने के बाद इस पर विचार विमर्श शुरू हुआ और कैबिनेट ने राज्य की 50 दुकानों को एक अप्रैल से बंद करने का निर्णय भी लिया।

सरकार के आबकारी मंत्री ने इस दुकानबंदी को शराबबंदी से जोड़ते हुए कहा था कि हम धीरे-धीरे लोगों की आदत सुधारना चाहते हैं, परंतु दुकानबंदी के लिए विभाग ने जो सूची जारी कि उससे स्पष्ट है कि आबकारी विभाग का दुकानबंदी से शराबबंदी का कुछ भी लेना-देना नहीं है।

विभाग ने राज्य के 17 जिलों में मात्र उन्हीं दुकानों को बंद करने का निर्णय लिया है जहां उनकी बिक्री कम है और उन्हें नुकसान हो रहा है। आबकारी विभाग ने एक अप्रैल से देसी शराब की 36 तथा अंग्रेजी की 14 दुकानों को बंद करने का निर्णय लिया है।

यदि दुकान बंद करने के पीछे सरकार या विभाग की मंशा होती कि लोगों की आदत धीरे-धीरे अनुपलब्धता से सुधारना है तो ऐसी दुकानों का चयन होता जहां बिक्री अधिक है, लेकिन विभाग ने उन दुकानों का चयन किया है, जिसे बंद कर देने से आबकारी विभाग के सेहत पर कोई अधिक फर्क न पड़े।

कुल मिलाकर आबकारी विभाग शराबबंदी के दवाब को कम करने के लिए 50 दुकान बंद कर सरकार द्वारा गंभीर प्रयास जहां बताने का प्रयास कर रही है, वहीं अपनी आय भी प्रभावित नहीं होने देना चाह रही है। राज्य में सर्वाधिक बिक्री वाले जिला रायपुर की 70 में से एक भी दुकान बंद नहीं किया जाना इसका एक उदाहरण है।

सरकार के इस कदम से कोचिया संस्कृति को मिलेगा बढ़ावा

आबकारी विभाग द्वारा शराब की 50 दुकानों को बंद करने से कोचिया संस्कृति को बढ़ावा मिलने की संभावना है। जिन इलाका विशेष में दुकानें बंद हुई हैं वहां कोचिया शराब की सप्लाई प्रारंभ कर देंगे। राजधानी सहित राज्य में पिछले दिनों पुलिस द्वारा की गई धरपकड़ में एक एक आदमी से अधिक मात्रा में शराब का बरामद होना इस ओर संकेत करता है कि कोचिया अब अपना प्रभाव शराब के व्यवसाय में बढ़ाने लगे हैं।

आदिवासी को भी बताया जा रहा बड़ा कारण 

शराबबंदी तत्काल नहीं किए जाने की जो वजहें प्रमुखता से गिनाई जा रही हैं उनमें आदिवासी भी एक है। कारण की आदिवासी संस्कृति में ही शराब की मान्यता है। सरकार जिन जिलों में शराब की दुकानों को बंद कर रही है उनमें आदिवासी बाहुल्य सभी जिलों की दुकानें हैं। उदाहरण के लिए जगदलपुर, कांकेर, कोरबा, कोरिया, सूरजपुर, जशपुर आदि शामिल है। विभाग ने सामान्य इलाकों के दस जिलों की एक भी दुकानों को बंद नहीं किया है।

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