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चुनाव जीतने के लिए भाजपा दंगे करा सकती है – भूपेश बघेल
रायपुर
- लोकसभा चुनाव आते ही मंदिर-मस्जिद, पाकिस्तान आदि राजनीतिक चर्चा में हैं।
- गुरुवार को एक कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बयान दिया कि चुनाव जीतने के लिए भाजपा दंगे करा सकती है।
- हालांकि सच यह है कि छत्तीसगढ़ में आजतक सांप्रदायिक दंगे हुए ही नहीं। तब भी नहीं हुए जब 1992 में बाबरी मस्जिद ढहाई गई थी।
- गुजरात के गोधरा कांड या मुंबई के दंगों का भी कोई असर यहां नहीं पड़ा था। छत्तीसगढ़ में हिंदू-मुस्लिम आबादी घुलीमिली है। एक ही बस्ती में दोनों समुदाय रहते हैं और दोनों के तीज त्यौहार सामूहिक तौर पर मनाए जाते हैं।
- गणेश उत्सव, दुर्गोत्सव आदि के लिए बनने वाली हर कमेटी में एकाध मुस्लिम भी रहता है। यानी यह इलाका सांप्रदायिकता से अछूता है।
- लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि यहां हिंदुत्ववादी राजनीति नहीं होती। छत्तीसगढ़ में मुस्लिम नहीं बल्कि ईसाई मुद्दा बनते हैं। ईसाई मिशनरी को लेकर हिंदुत्ववादी संगठन अक्सर गरम होते रहते हैं। खासकर आदिवासी इलाकों में ईसाई मिशनरियों की गतिविधियों को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है।
- प्रदेश में कुछ बस्तियां ऐसी हैं जहां मुस्लिम आबादी ठीक ठाक है। बस्तर संभाग का केशकाल कस्बा ऐसा ही है।
- केशकाल से दो-चार साल में एकाध बार तनाव की खबर आती है। वैसे इन मामलों में अक्सर यही निकलता है कि झगड़े निजी थे न कि सांप्रदायिक।
- भिलाई में कुछ महीने पहले एक समुदाय के धर्मस्थल में तोड़फोड़ से तनाव हुआ था। गरियाबंद में कसाई की दुकान का कचरा फेंकने पर विवाद हुआ था। इन इक्का दुक्का छुटपुट घटनाओं को छोड़ दें तो यह प्रदेश सांप्रदायिक धु्रवीकरण से काफी दूर है।
मुस्लिम और ईसाई आबादी लगभग बराबर
- प्रदेश में चार लाख 90 हजार ईसाई और पांच लाख 15 हजार मुस्लिम हैं। ईसाई समुदाय खासकर आदिवासी इलाकों में संकेंद्रित है। केंद्र सरकार ने ट्रिपल तलाक पर कानून बनाने की पहल शुरू की तो छत्तीसगढ़ में भी कुछ मामले सामने आए। लगभग 50 केस ऐसे थे जिनमें मुस्लिम महिलाएं ट्रिपल तलाक से पीड़ित थीं। यह संख्या उतनी ज्यादा नहीं है कि चुनाव में कुछ असर डाल पाए।
कुनकुरी में है एशिया का सबसे बड़ा चर्च
- रायगढ़ लोकसभा के जशपुर जिले के कुनकुरी में एशिया का सबसे बड़ा चर्च है। यह चर्च अपनी स्थापत्य कला के लिए मशहूर है और दूर-दूर से ईसाई धर्मावलंबी इसे देखने आते हैं।
- कुनकुरी और आसपास के इलाकों में बड़ी ईसाई आबादी रहती है। इनमें ज्यादातर आदिवासी हैं जिन्होंने धर्म परिवर्तन कर लिया है।
बस्तर में एक ही घर में दो धर्म
- बस्तर के आदिवासी इलाकों में चर्च का प्रभाव हमेशा विवाद में रहा है। दो साल पहले बस्तर के सांसद दिनेश कश्यप ने पांव धोकर आदिवासियों की हिंदू धर्म में वापसी का अभियान भी चलाया था।
- तोकापाल इलाके के एक गांव में ईसाई धर्म अपनाने वाले परिवारों को आदिवासियों ने बाहर कर दिया तो विवाद हुआ। चर्च में आगजनी की वारदात भी सामने आई थी।
- बस्तर के कई गांवों में हालत यह है कि पति आदिवासी धर्म मानता है तो पत्नी ईसाई। दोनों साथ रहते हैं और कोई मुद्दा नहीं होता। पर राजनीति में यह बड़ा मुद्दा बन जाता है।
पत्थलगड़ी में भी धर्म का लगा था आरोप
- विधानसभा चुनाव से पहले कुनकुरी इलाके में आदिवासी गांवों में पांचवीं अनुसूची, पंचायत एक्सटेंशन टू शेड्यूल एरिया(पेसा) कानून, ग्रामसभा आदि का उल्लेख करते हुए पत्थर गाड़े गए।
- इस अभियान को पत्थलगड़ी नाम दिया गया। तत्कालीन भाजपा सरकार ने दमन किया और आदिवासी नेताओं को जेल भेज दिया। आरोप लगे कि यह ईसाई समुदाय के इशारे पर किया जा रहा है।