भोपाल : बाबासाहेब भीमराव रामजी आंबेडकर की 127वीं जयंती पर उनकी जन्मस्थली महू पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मैं बाबासाहेब की जन्मस्थली पर राष्ट्रपति के रूप में आया. राष्ट्रपति ने कहा कि मैं इससे पहले भी महू आ चुका हूं लेकिन राष्ट्रपति के रूप में यहां आना अपना सौभाग्य समझता हूं. इस धरा पर कदम रखने के बाद मुझे बाबा साहब के मार्ग पर चलने का बल मिलता है.
महू में आंबेडकर की जयंती में आयोजित विभिन्न कार्यक्रमों में पहुंचे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि जय भीम का मतलब है ‘डॉ. आंबेडकर की जय’. ‘डॉ. आंबेडकर की जय’ का मतलब है उनकी विरासत तथा आदर्शों और उनके द्वारा देश को दिए गए संविधान, इन सबकी जय हो.
राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा संविधान बाबा साहब के नेतृत्व में लिखा गया आधुनिक भारत का एक पवित्र ग्रंथ है. इस संविधान ने ही हमारे लोकतन्त्र को यह ताकत दी है कि पिछड़े और वंचित वर्गों के लोग देश के सर्वोच्च पदों तक पहुंच सकते हैं.
उन्होंने कहा कि बाबा साहब के अनुसार मनुष्य के हर प्रकार के विकास के लिए शिक्षा एक आधारभूत जरूरत होती है. इसलिए उन्होंने इन वर्गों को जो नारा दिया था कि ‘‘शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो’’, उसमें भी बाबा साहब ने शिक्षा को ही प्राथमिकता दी थी.
राष्ट्रपति ने कहा कि मैं अपना सौभाग्य मानता हूं कि आज राष्ट्रपति के रूप में मुझे उसी संविधान के परिरक्षण, संरक्षण और प्रतिरक्षण करने की जि़म्मेदारी मिली है जिसके प्रमुख निर्माता स्वयं बाबा साहब थे.
राष्ट्रपति ने कहा कि मैं सभी देशवासियों, विशेषकर युवाओं से यह अपील करता हूं कि बाबा साहब के बताए हुए शांति, अहिंसा, और बंधुता के रास्ते पर चलें. हम सब पूरे सौहार्द के साथ, एक-जुट होकर, बाबा साहब के सपनों का भारत बनाने के लिए आगे बढऩे का संकल्प करें.
इससे पहले राष्ट्रपति ने बाबासाहेब की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धासुमन अर्पित किया. आंबेडकर जयंती पर महू में बाबासाहेब के करीब 2 लाख अनुयायी पहुंचे थे. हर वर्ष की तरह इनके भोजन, आवास और अन्य जरूरी व्यवस्थाएं प्रदेश सरकार द्वारा की गई.
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