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40 साल से विधायक अब सिर्फ सांसद कहलाएंगे बृजमोहन अग्रवाल

मोदी कैबिनेट रविवार की शाम शपथ ले चुकी है। सोमवार की सुबह का सूरज सवाल लेकर आया है। सियासी बातों में दिलचस्पी लेने वाले दो सवाल पूछ रहे हैं कि 36गढ़ से तोखन साहू को मौका क्यों और बृजमोहन अग्रवाल जैसे सीनियर नेताओं को साइड क्यों किया गया । आप को बता दें कि
बृजमोहन अविभाजित मध्यप्रदेश में 3 साल, 36गढ़ में 15 साल मंत्री रहे। 40 सालों से विधानसभा का चुनाव जीतते रहे, अब भी प्रदेश सरकार में मंत्री हैं मगर अब सिर्फ सांसद रह जाएंगे।
क्यों मंत्री नहीं बने बृजमोहन, इस सवाल के जवाब में भारतीय जनता पार्टी के सूत्र और राजनीति के जानकारों ने कुछ फैक्ट शेयर किए। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस बार संगठन में सिर्फ एक ही पैटर्न में काम हो रहा है नए लोगों को मौका दो। अनुभवियों का बैलेंस बनाया जा रहा है। मगर शक्ति का बड़ा हिस्सा नए हाथों में है। जब साय मंत्रिमंडल बना तो इसका उदाहरण देखने को मिला। जानकार ये भी बता रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन समाजिक समीकरणों को समझकर किया है। मोदी कैबिनेट का हिस्सा बने तोखन साहू, साहू समाज से आते हैं। भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा के बाद लोकसभा चुनाव में इस समाज को साधने का काम किया है। यही वजह है कि तोखन को पद मिला और बाकी नेताओं को कुछ नहीं, जिनमें बृजमोहन अग्रवाल भी हैं।

रायपुर दक्षिण की सीट से विधायक बनने वाले बृजमोहन जीत की गारंटी रहे हैं। मगर अब वो इस सीट को छोड़ देंगे। नियमों के मुताबिक सांसद बनने के बाद विधायकी छोड़नी पड़ती है। बृजमोहन जब हटेंगे तो उनकी जगह कौन चुनाव लड़ेगा, जो लड़ेगा वो बृजमोहन की तरह होगा या नहीं, उसे जनता स्वीकारेगी या नहीं, 5.75 लाख के अंतर से रायपुर लोकसभा जीतना बृजमोहन के चुनाव लड़ने की वजह से संभव हो पाया। क्या वोटर इसी तरह भाजपा को इस सीट पर बिना बृजमोहन के स्वीकारेगा, ये तमाम समीकरण दक्षिण की जीती हुई सीट पर टेंशन बढ़ा रही है। क्योंकि बृजमोहन को वोटर्स ने इस सोच के साथ वोट किया था कि शायद उन्हें केंद्र में मंत्री पद मिले, जो हो न सका।

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