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ऑपरेशन सिंदूर: प्रधानमंत्री मोदी का नया आह्वान, 2047 तक विकसित भारत का संकल्प”

रायपुर। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अगर हमें भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाना है, तो ये लड़ाई सिर्फ सीमाओं पर नहीं, बल्कि हर भारतीय के घर के भीतर लड़ी जाएगी। उन्होंने आह्वान किया कि अब वक्त आ गया है जब हम देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया की चौथी से तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के लिए हर विदेशी निर्भरता को चुनौती दें।

विदेशी सामान पर वार, आत्मनिर्भरता पर जोर

प्रधानमंत्री ने अपने उद्बोधन में भावनात्मक अपील करते हुए कहा,

“गणेश जी तक विदेश से आने लगे हैं… उनके आंखें तक नहीं खुल रही हैं।”

यह वाक्य जितना प्रतीकात्मक था, उतना ही झकझोर देने वाला भी। उन्होंने अपील की कि हर नागरिक अपने घर में 24 घंटे के भीतर इस्तेमाल होने वाले विदेशी सामान की सूची बनाए — चाहे वो हेयर पिन हो, कंघा हो, या टूथपिक तक।

उनका स्पष्ट संदेश था:

“देश को बचाना है, बनाना है, बढ़ाना है — तो ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ सैनिकों का नहीं, 140 करोड़ नागरिकों की जिम्मेदारी है।”

“वोकल फॉर लोकल” से “वन डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट” तक

प्रधानमंत्री ने दोहराया कि देश का प्रत्येक नागरिक आत्मनिर्भर भारत के इस अभियान में एक सिपाही है। उन्होंने कहा कि हर जिले का एक उत्पाद हो — जिसे न सिर्फ राष्ट्रीय, बल्कि वैश्विक स्तर पर पहचान दी जाए। वोकल फॉर लोकल अब एक नारा नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक क्रांति का रास्ता है।

उन्होंने बीते दशकों की मानसिकता पर चोट करते हुए कहा:

“पहले विदेश जाने वालों को लिस्ट मिलती थी कि क्या लाना है, अब कहा जाता है — कुछ मत लाओ, यहां सब है।”

ऑपरेशन सिंदूर: जनबल की शक्ति

प्रधानमंत्री मोदी ने “ऑपरेशन सिंदूर” को एक जन आंदोलन बताया। उनका कहना था कि इस ऑपरेशन की सफलता बंदूक से नहीं, बल्कि भारत की मिट्टी की खुशबू और मेहनतकश नागरिकों के पसीने से निकले उत्पादों से तय होगी।

उन्होंने भावुक स्वर में कहा:

“हमें अपनी मिट्टी की सुगंध, अपने देश की मेहनत पर गर्व करना होगा। मेड इन इंडिया सिर्फ टैग नहीं, गौरव है।”

न्यू इंडिया का रोडमैप: 2047 तक विकसित भारत

प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि ये कोई सरकारी योजना नहीं, बल्कि भारत की जन-क्रांति है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगर हर घर इस संकल्प में भागीदार बने, तो भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनते हम अपनी आंखों से देख पाएंगे।

समापन नारे से गूंजा मंच: “भारत माता की जय!”

अपने भाषण के अंत में प्रधानमंत्री ने समूचे राष्ट्र से आह्वान किया —
“भारत माता की जय!”
“वंदे मातरम!”

मंच पर लहराता तिरंगा, जनता की आंखों में आत्मगौरव और जुबां पर देशभक्ति की गूंज — यही थी उस दिन की तस्वीर, जो हर भारतीय के दिल में बस गई।

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