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छत्तीसगढ़: खनिज से कोड तक, खेत से कक्षा तक—नई पहचान की ओर एक निर्णायक कदम

रायपुर। छत्तीसगढ़ अब केवल एक खनिज और कृषि पर निर्भर राज्य नहीं रहा। यह वही धरती है जो कभी सिर्फ कोयले और धान की बात के लिए जानी जाती थी, लेकिन अब यह तकनीक, नवाचार और रणनीतिक उद्योगों का नया केंद्र बनने की ओर मजबूती से कदम बढ़ा चुका है। इस ऐतिहासिक बदलाव की कमान संभाली है मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने, जिन्होंने राज्य के औद्योगिक भविष्य की एक नई तस्वीर गढ़ी है—आत्मनिर्भर, आधुनिक और युवाओं से जुड़ी हुई।

हाल ही में मुख्यमंत्री श्री साय की अध्यक्षता में हुई मंत्रिपरिषद की बैठक ने छत्तीसगढ़ की दिशा ही बदल दी। रक्षा, एयरोस्पेस और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे उच्च तकनीकी क्षेत्रों के लिए विशेष औद्योगिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा न केवल नीति का हिस्सा है, बल्कि यह राज्य के आत्मविश्वास और दूरदृष्टि का प्रतीक भी है।

अब छत्तीसगढ़ तैयार है—रॉकेट साइंस के लिए भी।

2024-30 की औद्योगिक नीति के अंतर्गत बनाए गए इस पैकेज के तहत उच्च तकनीक उद्योगों को न केवल पूंजी अनुदान मिलेगा, बल्कि एसजीएसटी की 100% प्रतिपूर्ति और 35% तक सब्सिडी जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी। निवेश की सीमा 50 करोड़ से लेकर 500 करोड़ रुपये से ऊपर तक तय की गई है, और सब्सिडी की अधिकतम सीमा 300 करोड़ रुपये तक रखी गई है।

फायदा सिर्फ निवेशकों का नहीं, युवाओं का भी होगा।

इस नीति का सबसे सशक्त पहलू यह है कि यह स्थानीय युवाओं के लिए रोज़गार के स्थायी अवसर सृजित करती है। पहली बार रोजगार देने वाले उद्योगों को वेतन के 20% तक अनुदान मिलेगा। इसका मतलब है—छत्तीसगढ़ के युवा अब केवल नौकरियाँ ढूंढेंगे नहीं, बल्कि अवसरों की एक नई दुनिया के हिस्सेदार बनेंगे।

ड्रोन से लेकर स्पेस तक—छत्तीसगढ़ टेक्नोलॉजी की उड़ान भर रहा है।

अनुसंधान एवं विकास पर खर्च करने वाली इकाइयों को 20% तक अनुदान, सेंटर ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना पर विशेष प्रोत्साहन और ड्रोन प्रशिक्षण केंद्रों के लिए सहायता जैसे प्रावधान इस नीति को देश की सबसे प्रगतिशील नीतियों में शुमार करते हैं। 1000 करोड़ रुपये से अधिक निवेश करने वाली या 1000 से अधिक लोगों को रोजगार देने वाली इकाइयों को अतिरिक्त प्रोत्साहन भी मिलेगा, जिससे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियों का ध्यान छत्तीसगढ़ की ओर जाएगा।

मुख्यमंत्री श्री साय का स्पष्ट दृष्टिकोण है:

“हमारा युवा नौकरी चाहने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बने।”

यह नीति केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों का राज्यस्तरीय प्रतिबिंब है। यह छत्तीसगढ़ को पारंपरिक सीमाओं से बाहर निकालकर, उसे एक तकनीकी और औद्योगिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त करती है।

आज छत्तीसगढ़ बदल रहा है—और यह बदलाव सिर्फ नीतियों में नहीं, सोच में भी है। आने वाला कल इस धरती को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा—जहाँ खेतों के साथ-साथ फैक्ट्रियों में भी भविष्य गढ़ा जाएगा।

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